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"श्रीकृष्ण ने गीता (4.7) में कहा है कि जबजब आवश्यकता होती है, तब-तब मैं अवतार लेता हूँ। मेरा मानना है कि ‘गीतारथी’ भगवान् श्रीकृष्ण के पुस्तकीय अवतार ‘गीता’ का आधुनिक अवतरण है। श्रद्धेय स्वामी रामभद्राचार्य जी के आशीर्वचन से सिंचित इस पुस्तक का संछिप्त परिचय निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत प्रस्तुत है—
1. गीता के संस्कृत के संपूर्ण 700 श्लोक, आम भाषा में उनका भाव और आधुनिक सिद्धांतों/मतों के आलोक में टिप्पणी।
2. श्लोकों को 90 से भी अधिक चित्रों द्वारा समझाने का प्रयास।
3. श्लोकों की रामचरितमानस, वाल्मीकि रामायण, वेद, उपनिषद्, कुरान आदि से समानता स्थापित करने का प्रयास।
4. श्लोकों की व्याख्या के क्रम में वैज्ञानिक सिद्धांतों, जैसे न्यूटन के गति का नियम, केपलर के ग्रहों की चाल संबंधी नियम, आर्किमिडीज के सिद्धांत आदि का प्रयोग।
5. श्लोकों तथा भारतीय संविधान के मूल अधिकार, नीति निदेशक तत्त्व, मूल कर्तव्य, पॉकेट वीटो, नागरिकता और भारतीय कानूनों, जैसे CAA में संबंध।
6. श्लोकों तथा अर्थव्यवस्था की विभिन्न अवधारणाओं, जैसे GDP, GNP, GNH, HDI, Sustainable Development आदि में संबंध।
7. श्लोकों का पर्यावरणीय अवधारणाओं जैसे— Global Warming, Carbon Credit आदि से संबंध।
8. श्लोकों का भारतीय दर्शन, जैसे सांख्य, न्याय, बौद्ध, जैन, चार्वाक आदि तथा पाश्चात्य दार्शनिकों, जैसे प्लेटो, अरस्तू, लाइबनीज, मार्क्स, हीगल, अस्तित्ववाद आदि से संबंध।
9. श्लोकों का आधुनिक वादों, जैसे दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म-मानववाद और अखंड भारत आदि से संबंध, इत्यादि।"