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इस पुस्तक में गोवा की प्रसिद्ध लोककथाओं का हिंदी अनुवाद संकलित है। गोवा की जनजातियों में वाचिक परंपरा से सदियों से कही जा रहीं ये चुनी हुई लोककथाएँ हैं। इनमें राजा-रानी, राक्षस, जिन्न, जानवर, पंछी, मूर्ख, होशियार, साहसी-डरपोक आदि विषयों की लोककथाएँ हैं। गोवा की लोककथाओं की प्राचीनता एवं मूल रूप पाठकों के सामने आ जाए इस उद्देश से, आदिवासी जनजातियों और गाँव-कस्बे में रहनेवाले लोगों में प्रचलित लोककथाओं का विशेष रूप से चयन किया गया है। नीतिकथा, चातुर्यकथा, अद्भुतकथा, शौर्यकथा, हास्यकथा आदि लोककथाओं के जो प्रकार गोवा में पाए जाते हैं, उनके नमूने इसमें समाविष्ट हैं, जिससे गोवा की लोककथा की विविधता का अंदाजा मिल जाता है। गीत रूप में प्रस्तुत होनेवाली लोककथाओं के नमूने भी इस संग्रह में हैं। पुस्तक केप्रारंभ में एक विस्तृत भूमिका है जो गोवा की लोककथाओं के स्वरूप, प्रकार, प्रचार, विशेषता आदि पर प्रकाश डालने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास और समाज जीवन की भी मीमांसा करती है।
जयंती नायक
6 अगस्त, 1962 को गोवा के केपें तालुका के आमोना गाँव में जन्म।
समाजशास्त्र विषय में एम. ए. (मैसूर विद्यापीठ), लोक-साहित्य विषय में पदव्युत्तर पदविका (मैसूर विद्यापीठ) और लोकसाहित्य विषय में पी-एच.डी. (गोवा विद्यापीठ) पदवी प्राप्त। कोंकणी भाषा की सुप्रसिद्ध साहित्यकार, अनुवादक एवं लोक-संस्कृति की अनुसंधित्सु। पिछले तीन दशकों में लोक-संस्कृति के क्षेत्र में संकलन एवं अनुसंधान का बहुमुल्य कार्य। मातृदेवता एवं स्त्री-जीवन विषय में विशेष अभिरुचि। लोक-संस्कृति के अतिरिक्त कहानी, कविता, नाटक, निबंध, बाल-साहित्य, अनुवाद आदि विधाओं में लेखन। कुल 43 पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें 21 पुस्तकें लोक-संस्कृति पर ही हैं। गोवा कोंकणी अकादमी द्वारा प्रकाशित अर्धवार्षिक साहित्यिक पत्रिका ‘अनन्य’ की संपादक।
गोवा सरकार और विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं के पुरस्कारों से सम्मानित जिनमें साहित्य अकादेमी, दिल्ली का साहित्य पुरस्कार (2004) और अनुवाद पुरस्कार (2020), गोवा सरकार का यशोदामिनी पुरस्कार (2009), मांड सोभाण, मेंगलुरु से लोक-संस्कृति के अनुसंधान कार्य के लिए जीवन गौरव पुरस्कार आदि प्रमुख हैं। गोवा कोंकणी अकादमी में लोक-साहित्य अनुसंधानक (Researcher) पद पर कार्यरत।