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‘गॉड इज अ गेमर’ एक दिलचस्प कहानी है, जो पाठक को मुंबई की गलियों से गोवा के समुद्र तट तक और वॉशिंगटन की आलीशान इमारतों से न्यूयॉर्क की वित्तीय राजधानी तक ले जाती है। एक ऐसी कहानी, जो पाठक को अज्ञात स्थानों की, जिन्हें किसी ने नहीं देखा, सैर कराती है, लेकिन उनका एहसास कइयों ने किया है—वह स्याह वेब। इंटरनेट का नाजुक हिस्सा। और इन सबके बीच, मानव भावनाओं की एक कहानी है। एक पिता, जिसका बेटा लौट आता है, एक राजनेता जो बेबाक है, एक बैंक का सीईओ, जिसे एक राज सीने में दफन रखना है। इस दलदल में फँसा है एक पुराना बैंकर, जिसकी गेमिंग कंपनी तबाह होनेवाली है; एक बीस वर्षीय जोड़ा, जो प्यार की तलाश में है; और एक एफबीआई एजेंट, जो अपने परिवार को भूलने के लिए अपने आपको काम में डुबो देना चाहता है।
इन सारी कहानियों के बीच बुनी गई है बिटकॉयन्स की कहानी—वह आभासी मुद्रा, जिसने दुनिया में तहलका मचा दिया है। अगर इस किताब के कुछ हिस्से आपको डरा दें, दहशत पैदा कर दें और आपको ऐसा लगे कि क्या वास्तव में ऐसी बातें होती हैं तो यकीन मानिए, इस किताब के कई चौंका देनेवाले क्षण वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित हैं।
रहस्य, रोमांच और सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपस्थिति का प्रतिपल अहसास करानेवाला अत्यंत पठनीय उपन्यास।
आई.आई.एम. बेंगलुरु के छात्र रहे रवि सुब्रह्मण्यन गत दो दशकों से भारत में ग्लोबल बैंकों में अत्यंत प्रभावी भूमिका में रहे हैं। संभवतः इसी कारण वित्त-संबंधित क्षेत्रों में उनके व्यापक अनुभव से सृजित उनकी पुस्तकें अत्यंत लोकप्रिय हुई हैं। वर्ष 2008 में प्रकाशित उनके प्रथम उपन्यास ‘इफ गॉड वाज ए बैंकर’ को गोल्डन क्विल रीडर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वर्ष 2012 में उनके उपन्यास ‘द इन्क्रेडिबल बैंकर’ को इकोनॉमिस्ट क्रॉसवर्ड बुक अवॉर्ड तथा वर्ष 2013 में ‘द बैंकस्टर’ के लिए क्रॉसवर्ड बुक अवॉर्ड दिए गए। उनका नवीनतम उपन्यास ‘द बेस्टसेलर शी रोट’ है। वे पत्नी धारिणी और पुत्री अनुषा के साथ मुंबई में रहते हैं।
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