₹300
ओड़िया भाषा के प्रणेता उत्कलमणि पं. गोपबंधु दास आधुनिक ओडिशा के निर्माताओं में से एक हैं। ओडिशा के लोगों के मन और चेतना में गोपबंधु दास की छवि एक स्वतंत्रता सेनानी, कवि, शिक्षाविद्, प्रमुख ओड़िया दैनिक 'समाज' के संस्थापक, विधायक और सबसे बढ़कर एक निस्स्वार्थ और आत्मबलिदानी व्यक्ति के रूप में अंकित है, जिन्होंने हमेशा मानवता के लिए समर्पित भाव से काम किया। उन्हें ओडिशा का गांधी माना जाता है, जिनके उच्च आदर्शों की चर्चा निरंतर की जाती है।
उत्कलमणि पं. गोपबंधु दास ने अपना जीवन ओडिशा के लोगों को कष्टों और शोषण की दलदल से बाहर निकालने के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने उत्कल गौरव मधुसूदन दास के साथ ओडिशा में राष्ट्रीय पुनर्जागरण का नेतृत्व किया था। उन्होंने अपने उन साथियों में सम्मान और गर्व की भावना का संचार किया, जो अपनी पहचान लगभग भूल चुके थे।
इस पुस्तक में महान् देशभक्त गोपबंधु दास की उपलब्धियों का आकलन करने का एक विनम्र प्रयास किया गया है, जिन्होंने केवल ओड़िया साहित्य को समृद्ध किया, वरन् ओडिशा के सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र में एक स्थायी छाप छोड़ी।