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"मैं कभी अकेला नहीं रहा और मुझे - नहीं पता था कि घर का रास्ता कैसे ढूँढूँ`
गोपी खो गया है!
अपने घर के आराम से बाहर निकलते समय गोपी को सड़कों पर जीवन का अनुभव होता है, जहाँ वह गली के कुत्तों से मिलता है और उनके संघर्षों को जीता है। दिन के दौरान गोपी गली के एक दयालु लड़के से दोस्ती करता है, जो उसके कई रोमांचों में उसका साथ देता है। यह एक ऐसा दिन है, जो पहले कभी नहीं था।
लेकिन गोपी को हर मिनट अपनी पसंदीदा अज्जी की याद आती है।
क्या गोपी अपने घर का रास्ता खोज पाएगा? क्या अज्जी और गोपी फिर से मिलेंगे ? जानने के लिए यह सुंदर, दिल को छू लेने वाली कहानी पढ़ें।
सुधा मूर्ति की अनूठी शैली में लिखी गई यह कहानी युवा और बुजुर्ग, दोनों के दिलों को छू लेगी, क्योंकि गोपी की कहानी हमें गली के कुत्तों की दुर्दशा को समझने में मदद करती है। इससे हम सोच पाएँगे कि हम उनकी मदद के लिए क्या कर सकते हैं।
'गोपी डायरीज' बच्चों के लिए एक बेस्टसेलिंग सीरीज है। सीरीज की चार पुस्तकें हैं- 'गोपी अब बड़ा हो गया', 'जब गोपी को मिला प्यार', 'जब गोपी घर पहुँचा' और 'गोपी चला घूमने'।
'प्रगति विचार साहित्य महोत्सव 2024' के 'सेलिब्रेटेड ऑथर ऑफ द ईयर अवार्ड' की विजेता 'गोपी डायरीज : ग्रोइंग अप !'"
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और वर्तमान में इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुधा मूर्ति ने अंग्रेजी एवं कन्नड़ भाषा में उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, लघुकथाओं के अनेक संग्रह, अकाल्पनिक लेख एवं बच्चों हेतु चार पुस्तकें लिखीं। सुधा मूर्ति को साहित्य का ‘आर.के. नारायणन पुरस्कार’ और वर्ष 2006 में ‘पद्मश्री’ तथा कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्ट योगदान हेतु वर्ष 2011 में कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टीमाबे पुरस्कार’ प्राप्त हुआ। अब तक भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में लगभग दो सौ पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित-बहुप्रशंसित।