क्या आप भी अपने जीवन का हर पल हँसते-खेलते खुशी-खुशी गुजारना चाहते हैं? जीवन में खुश रहने के लिए केवल एक बात पर गौर करने की जरूरत होती है कि खुशी इस बात पर निर्भर नहीं करती कि हम कौन हैं या हमारे पास क्या कुछ है? हँसी-खुशी हमारे भीतर ही निवास करती है, सिर्फ जरूरत है इन्हें जानने और पहचानने की। अब तो डॉक्टर और विद्वान् लोग भी मानने लगे हैं कि हर दिन थोड़ा-बहुत हँसने से टेंशन, डिप्रेशन एवं अन्य कई घातक बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है। एक बार जो कोई खुद को खुश रखने की कला को जान लेता है, वह दूसरों के जीवन में भी आसानी से खुशियाँ महका सकता है। ज्ञानी लोग सच ही कहते हैं कि खुशी से बढ़कर कोई खुराक नहीं होती, इसलिए जहाँ तक हो सके, हमें सदा खुश रहने का स्वभाव बनाना चाहिए। प्रसिद्ध हास्य लेखक जौली अंकल हँसी-मजाक की अनेक पुस्तकें लिखने के बाद अब कुछ खास किस्म के गुदगुदाते सवाल-जवाब लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़कर आप ठहाके लगाए बिना नहीं रह पाएँगे।
हास्य तथा व्यंग्य-विनोदपूर्ण गुदगुदाते सवाल-जवाबों का पठनीय संकलन।
जौली अंकल का मानना है कि आज हर कोई दूसरों को सुधारने की बात करता है। यहाँ तक कि जो लोग चंद लाइनें भी ठीक से नहीं खींच सकते, वे समाज को बदलने का नक्शा बनाने का दावा करने लगे हैं; परंतु क्या कभी किसी ने इस बात को जानने का प्रयास किया है कि जब तक हमारे अपने मन का दीपक नहीं जलता, तब तक हम दूसरों के घरों को कैसे रोशन कर सकते हैं?
विषय चाहे कोई भी हो, जौली अंकल अपनी हर बात इतनी सरल भाषा में कहते हैं कि वे पाठकों के दिल पर सीधा सकारात्मक प्रभाव डालती है। उनका दावा है कि एक अच्छे लेखक को ऐसी भूमिका निभानी चाहिए, जिससे समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके। इसी के साथ वे नई पीढ़ी की जिम्मेदारियों के प्रति बहुत चिंतित हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि आनेवाले समय का सारा उत्तरदायित्व युवा कंधों पर ही है। दूसरे लोग चाहे कुछ भी कहते रहें, परंतु जौली अंकल तो यही मानते हैं कि मानवजाति का भविष्य छोटी-छोटी बातों को बड़ी-बड़ी खुशियों में तबदील करके ही सँवारा जा सकता है।
जौली अंकल को अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मानों/पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
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