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Gujarat Ki Lokkathayen   

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Author Raghavji Madhad
Features
  • ISBN : 9789355210296
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Raghavji Madhad
  • 9789355210296
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2021
  • 168
  • Soft Cover
  • 200 Grams

Description

गुजरात वैविध्य सांस्कृतिक विरासत रखनेवाला विकासशील राज्य है। यहाँ समुद्र, रेगिस्तान, पर्वत और जंगल हैं, जो शायद ही किसी राज्य में एक साथ देखने को मिलते हैं। इन प्राकृतिक, भौगोलिक और सामाजिकता का प्रभाव जनजीवन पर पड़ता रहता है, जिसके आधार पर कला, संस्कृति और साहित्य विकसित होता रहता है।
गुजरात के विविध प्रदेशों की सांस्कृतिक और मानव-महिमा को उजागर करनेवाली इन कथाओं में मानवीय गुणों के साथ भाषा व विषयों की विविधता वाली कथाएँ हैं, जिसमें लेखन की विभिन्न शैलियों एवं कथा-कौशल का अनुभव प्राप्त होगा।
ये काल के प्रवाह में बह जाने के बदले लोकहृदय को आर्द्र करती रहनेवाली कथाएँ हैं। इतिहास के जर्जरित पन्नों से लगी रजकणिकाएँ हैं। शीलवंत, भटके हुए, भूले हुए, पराक्रमशील, हँसमुख और स्नेहवाले नर-नारियों के जीवन की मधुरता से महकते पात्र इन कथाओं में आलस्य छोड़कर उठ खड़े हुए हैं, जिनमें प्रकृति-प्रेम के साथ प्राणी-प्रेम भी आ जाता है।
गुजरात के समृद्ध लोकजीवन की बानगी देती ये लोककथाएँ पाठकों को वहाँ की संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं से परिचित करवाएँगी और उनका ज्ञानवर्धन-मनोरंजन भी करेंगी।

The Author

Raghavji Madhad

डॉ. राघवजी माधड गुजराती साहित्य और शिक्षाजगत् में लोकप्रिय एवं शिष्ट साहित्य के शिखर पर विराजमान साहित्यकार हैं। उन्होंने उपन्यास, कहानी, निबंध, नाटक और विशेषतः लोकसाहित्य आदि स्वरूपों में अपनी कलम का कमाल दिखाकर अपूर्व प्रतिष्ठा प्राप्त की है। 
गुजरात-सौराष्ट्र के एक छोटे से गाँव की मिट्टी से अपना जीवन और कलम की यात्रा का आरंभ करने वाले यह सर्जक अपनी मेहनत और निष्ठा से राज्य सरकार के G.C.E.R.T. के सरकारी अधिकारी के पद पर पहुँचे हैं। उनके उपन्यास, कहानी और जनकहानियों  में  मानवीय  सच्चाई, संवेदनशीलता, सत्-असत्, पारंपरिक मूल्य और नए युग के नए आयाम अपने आप उभरकर आते हैं।
मूल्य शिक्षा में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त करनेवाले बहुविध प्रतिभा के धनी माधड की शैक्षिक प्रतिभा का लाभ गुजरात राज्य सरकार को टेक्स्ट बुक बोर्ड के अभ्यासक्रम निर्धारण, लेखन, परामर्श, विविध शैक्षिक कार्यक्रम, संशोधन-संपादन आदि में निरंतर मिला है। 
स्वभाव से एकदम सरल, निश्छल और विनम्र डॉ. माधड गुजराती साहित्य के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन करनेवाले डॉ. माधड ने रेडियो, टी.वी. और फिल्मों को भी अपनी लेखनी से समृद्ध किया है।
—डॉ. कन्हैयालाल भट्ट (गांधीनगर, गुजरात)

 

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