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Gyan Ka Yug Aur Bharat   

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Author Vinod Kumar Mishra , R A Mashelkar
Features
  • ISBN : 9789386231581
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Vinod Kumar Mishra , R A Mashelkar
  • 9789386231581
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 226
  • Hard Cover
  • 300 Grams

Description

वर्तमान युग ज्ञान का युग है। ज्ञान अब एक मूल्यवान् संपदा बन चुका है। भारत सहित विश्व के तमाम देश बौद्धिक संपदा अधिकारों संबंधी अपने राष्ट्रीय ढाँचे को नया व अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देते जा रहे हैं, जो ज्ञान अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता हुआ एक सशक्त कदम है। 
ज्ञान आधारित समाज के निर्माण के लिए समाज के हर वर्ग का सहयोग आवश्यक है। आज हमारे पास वह सबकुछ है जो इस युग में भारत को पुनः वह स्थान दिला सकता है जो कभी इसे प्राप्त था। 
प्रस्तुत पुस्तक के प्रथम खंड में ज्ञान व ज्ञान-प्रबंधन संबंधी विभिन्न पहलुओं का सूक्ष्मता से विश्लेषण किया गया है। इसमें प्राचीन भारत में ज्ञान की महिमा और ज्ञान आधारित समाज व्यवस्था के अलावा विभिन्न प्रकार के ज्ञान, ज्ञान-प्रबंधन, ज्ञान संगठनों के लक्षणों, ज्ञान के अद्भुत भंडार व संस्कृति पर भी प्रकाश डाला गया है। साथ ही, भविष्य में ज्ञान का आर्थिक लेखा-जोखा कैसे किया जाएगा तथा छोटे व मँझले स्तर के संगठनों में ज्ञान व्यवस्था की स्थापना से जुड़े पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है।
पुस्तक के द्वितीय खंड में भारत को एक ‘ज्ञान महाशक्ति’ बनानेवाली कार्ययोजना के संबंध में विस्तार से समझाया-बताया गया है। इस खंड में भारत की शक्तियों व कमजोरियों तथा भारत के समक्ष वर्तमान में जो चुनौतियाँ हैं उनका विस्तार से वर्णन किया गया है। राष्ट्रीय विकास में ज्ञान की आवश्यकता, उसकी भूमिका एवं स्वरूप पर विस्तृत चर्चा पाठकों के लिए उपयोगी व ज्ञानप्रद है।

The Author

Vinod Kumar Mishra

जन्म : 12 जनवरी, 1960 को इटावा (उ.प्र.) में।
शिक्षा : विकलांग होने के बावजूद हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं। सन् 1983 में रुड़की विश्‍वविद्यालय से इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्‍त कर सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) में सहायक अभियंता के रूप में नियुक्‍त हुए। विभिन्न विभागों में काम करते हुए आजकल मुख्य प्रबंधक के रूप में काम कर रहे हैं।
अब तक कुल 32 पुस्तकें तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 300 लेख प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : सन् 1996 में राष्‍ट्रपति पदक, 2001 में ‘हिंदी अकादमी सम्मान’ तथा योजना आयोग द्वारा ‘कौटिल्य पुरस्कार’। सन् 2003 में अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय द्वारा ‘प्राकृतिक ऊर्जा पुरस्कार’, 2004 में राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा ‘सृजनात्मक लेखन पुरस्कार’, विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा ‘डॉ. मेघनाद साहा पुरस्कार’ तथा महासागर विकास मंत्रालय द्वारा ‘हिंदी लेखन पुरस्कार’।

 

R A Mashelkar

डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर
सन् 1991 में ‘पद्मश्री’ व 2000 में ‘पद्मभूषण’ से विभूषित
डॉ. माशेलकर का जन्म एक अत्यंत गरीब परिवार में 1 जनवरी, 1943 को महाराष्ट्र में हुआ। केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री लेकर विदेश में उच्च पद पर अनुसंधानरत रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आग्रह पर उन्होंने राष्ट्रीय विज्ञान प्रयोगशाला, पुणे का कार्यभार सँभाला।
‘फेलो ऑफ रॉयल सोसाइटी’ डॉ. माशेलकर ने अनेक अवसरों पर—विशेष रूप से हल्दी, बासमती आदि पर—पेटेंट के मामले में भारतीय वैज्ञानिक दल का नेतृत्व किया।
संप्रति : सचिव, डी.एस.आई.आर. तथा महानिदेशक, सी.एस.आई.आर.।

 

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