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Gyarah Lambi Kahaniyan

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Author Urmila Shirish
Features
  • ISBN : 9789380186948
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Urmila Shirish
  • 9789380186948
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 232
  • Hard Cover
  • 470 Grams

Description

इस संग्रह की कहानियों में हमने जो देखा या सुना है, कथा उसे आधारभूमि की तरह बिछाती है। यथार्थ इतना ठोस नहीं है। वह यहाँ उर्वर है। कहानियाँ अनदेखे कोनों की ओर ले जाती हैं। नए रंग, व्यग्रता, अवसाद और दुचित्तेपन की दुनिया में भाषा-आलोक क्रमश: फैलता है। यह उर्मिला शिरीष की अनुपम कला है। उनकी अधिकांश कहानियों में लोगों की बातचीत में कहानी खुलती और खिलती है। उर्मिला बहुत कम उनके बीच में आती हैं। व्यंग्य की बजाय कथा समराग में संबंधों को बारीक रेशों में बुनती है। यथार्थ कौशल और बहुमूल्य तटस्थ दृष्‍टि हमारे भारतीय पारिवारिक जीवन के ठहरे तह में से भविष्य की तसवीर उकेर लाने में सफल होती है। जैसे हरेक कहानी में हमारे जीवन का समुच्चय निरंतरता का इंगित है।
ये कहानियाँ हमें ठहरकर घटना में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित करती हैं। इस संग्रह की कहानियाँ हमारे जीवन को धीरे-धीरे प्रस्फुटित होने का अर्थ समझाती हैं, बताती हैं। आखिरकार मटमैले परिदृश्य को समेटने के पहले गहराई से जानना जरूरी है।
उर्मिला शिरीष इस अनिवार्यता को इस संग्रह \'ग्यारह लंबी कहानियाँ’ में रचनात्मक ऊर्जा के साथ रखती हैं। ये कहानियाँ अपने समय की चुनौतियों का तो सामना करती ही हैं, समय और समाज से टकराने की चुनौती का सामना करने की ताकत और दृष्‍टि भी देती हैं।
—शशांक

The Author

Urmila Shirish

जन्म :19 अप्रैल,1959
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), पी-एच.डी., डी.लिट्. (आद्योपांत प्रथम श्रेणी)।
प्रकाशन : ‘वे कौन थे’, ‘मुआवजा’, ‘सहमा हुआ कल’, ‘केंचुली’, ‘शहर में अकेली लड़की’, ‘रंगमंच’, ‘निर्वासन’, ‘पुनरागमन’, ‘लकीर तथा अन्य कहानियाँ’, ‘प्रेम संबंधों की कहानियाँ’, ‘कुर्की तथा अन्य कहानियाँ’ (कहानी संग्रह); ‘धूप की स्याही’, ‘खुशबू’ (संपादित कहानी संग्रह); ‘सृजन यात्रा’ (गोविंद मिश्र पर केंद्रित), ‘प्रभाकर श्रोत्रिय : आलोचना की तीसरी परंपरा’ (संपादित)।
पुरस्कार-सम्मान : ‘समय स्मृति साहित्य पुरस्कार’, ‘वागीश्‍वरी पुरस्कार’ ‘डॉ. बलदेव मिश्रा पुरस्कार’, कहानी संग्रह ‘निर्वासन’ को 2004 का ‘निर्मल पुरस्कार’, ‘पुनरागमन’ को ‘वर्मा कथा सम्मान 2007’। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, संस्कृति विभाग, भारत सरकार की फैलोशिप। अनेक राष्‍ट्रीय पुरस्कारों तथा सम्मानों की समिति में निर्णायक। दूरदर्शन (नेशनल) द्वारा कहानी ‘पत्थर की लकीर’ पर टेलीफिल्म। कई विश्‍वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध-कार्य।
संप्रति : ‘प्रवासी हिंदी साहित्य में जीवन की छवियाँ : भूमंडलीकरण के पश्चात्’ विषय पर शोधरत।

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