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Haldighati Yuddha Ke Vijeta Maharana Pratap   

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Author Vijay Nahar
Features
  • ISBN : 9789394871892
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Vijay Nahar
  • 9789394871892
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 160
  • Soft Cover
  • 200 Grams

Description

महाराणा प्रताप एक ऐसे प्रबल पराक्रमी, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, प्रखर बुद्धिमान, प्रत्युत्पन्नमति तेजस्वी वीर हुए हैं, जिन्होंने अपना सर्वस्व राष्ट्रदेवता के चरणों में समर्पित कर दिया। जीवन में एक भी युद्ध में पराजित नहीं हुए। हिंदू धर्म, संस्कृति के लिए जीवन के अंतिम क्षण तक अकबर जैसे विदेशी आक्रांता से संघर्ष करते रहे और उसे निराश हताश एवं मानसिक रूप से पराजित किया।

हल्दीघाटी युद्ध के लिए इतिहासकारों में मतभेद है। इस ग्रंथ में उन सभी तथ्यों को उजागर करते हुए पुष्ट प्रमाणों से यह सिद्ध किया गया है कि हल्दीघाटी युद्ध में मेवाड़मणि महाराणा प्रताप विजयी रहे। इस युद्ध के तीन चरण थे प्रथम हल्दीघाटी, द्वितीय खमनोर एवं तृतीय गोगुंदा। तीनों स्थानों पर मुगल सेनापति मानसिंह एवं आसफ खाँ बुरी तरह पराजित हुए।

महाराणा प्रताप के साथ यहीं युद्ध समाप्त नहीं हुआ। मानसिंह एवं आसफ खाँ की पराजय के पश्चात् स्वयं अकबर ने महाराणा प्रताप के विरुद्ध तीन आक्रमण किए, बक्सी साइबाजखान के नेतृत्व में तीन आक्रमण, अब्दुल रहीम खानखाना के नेतृत्व में एक आक्रमण तथा आमेर कुँवर जगन्नाथ कछवाह, जाफर खाँ एवं सैयद राजू के नेतृत्व में एक आक्रमण। हल्दीघाटी के अलावा ऐसे 8 आक्रमण किए। परंतु महाराणा प्रताप ने गुरिल्ला युद्ध में सभी को पराजित किया।

यह कथा है महाराणा प्रताप के पराक्रम की, गौरव की, स्वाभिमान की, नीतिज्ञता की, कूटनीति की, हिंदुत्व एवं भारतीय सांस्कृतिक स्वाभिमान की।

The Author

Vijay Nahar

जन्म : 8 नवंबर, 1942, हरनांवा/लाडनूँ में।
शिक्षा : एम.ए. इतिहास।
कर्मक्षेत्र : 25 वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक; राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद् के संस्थापक संगठन मंत्री; राजस्थान प्रौढ़ शिक्षा संस्थान, जयपुर के संस्थापक संगठन मंत्री; राज्य समाज कल्याण बोर्ड के सदस्य; राज्य प्रौढ़ शिक्षा बोर्ड के सदस्य; भारतीय जनसंघ जोधपुर संभाग के संगठन मंत्री रहे; अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के महामंत्री एवं संगठन मंत्री रहे; श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी मानव हितकारी संघ-शिक्षण संस्थान राणावास के निदेशक रहे; आचार्य तुलसी अमृत महाविद्यालय, गंगापुर भीलवाड़ा के निदेशक रहे। संप्रति मरुधर विद्यापीठ समिति, पाली के अध्यक्ष हैं।

 

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