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पिछले सात दशक की राजनीति में भारत में एक व्यक्तित्व उभरा और देश ने उसे सहज स्वीकार किया। जिस तरह इतिहास घटता है, रचा नहीं जाता; उसी तरह नेता प्रकृति प्रदत्त प्रसाद होता है, वह बनाया नहीं जाता बल्कि पैदा होता है। प्रकृति की ऐसी ही एक रचना का नाम है पं. अटल बिहारी वाजपेयी। अटलजी के जीवन पर, विचार पर, कार्यपद्धति पर, विपक्ष के नेता के रूप में, भारत के जननेता के रूप में, विदेश नीति पर, संसदीय जीवन पर, उनकी वक्तृत्व कला पर, उनके कवित्व रूपी व्यक्तित्व पर, उनके रसभरे जीवन पर, उनकी वासंती भाव-भंगिमा पर, जनमानस के मानस पर अमिट छाप, उनके कर्तृत्व पर एक नहीं अनेक लोग शोध कर रहे हैं।
इस पुस्तक में अटलजी की मस्ती हमारी और आपकी सुस्ती को सहज भगा देगी। इन अनछुए पहलू में प्रेरणा, प्रयोग, प्रकाश, परिणाम, परिश्रम, परमानंद, प्रमोद, प्रकल्प, प्रकृति, प्रश्न, प्रवास और साथ ही साथ जीवन कैसे जिया जाता है, कितने प्रकार से जीया जाता है? आनंद को भी आनंद से आनंदित करने के लिए कितने प्रकार के आनंद की आवश्यकता होती है, इस संस्मरणों में उसका भी आनंद लिया जा सकता है।
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अनुक्रमणिका
संपादकीय — Pgs. 5
1. भारत के उज्ज्वल भविष्य की झलक — प्रो. राजेंद्र सिंह ‘रज्जू भैया’ — Pgs. 11
2. बौनों के बीच एक विशाल व्यक्तित्व — लालकृष्ण आडवाणी — Pgs. 13
3. उनके नेतृत्व में होगा गौरवशाली युगोदय — डॉ. भाई महावीर — Pgs. 16
4. अटल चुनौती अखिल विश्व को — माणिकचंद्र वाजपेयी — Pgs. 19
5. इस प्रकार बने पत्रकार से राजनीतिज्ञ — नानाजी देशमुख — Pgs. 22
6. वाजपेयी बने राष्ट्रीय अभिनंदन के पात्र — डॉ. महेश — Pgs. 24
7. विद्वत्ता और देशप्रेम के दर्शन
होते हैं उनके भाषण में — जॉर्ज फर्नांडीज — Pgs. 28
8. सदा दीवाली संत की — सुंदरलाल पटवा — Pgs. 29
9. शहीद मुजामिल हक और अटलजी — श्रीकांत जोशी — Pgs. 31
10. वे बड़े मन के बड़े आदमी — सुमित्रा महाजन — Pgs. 38
11. जब अटलजी ‘स्वदेश’ के संपादक थे — वचनेश त्रिपाठी — Pgs. 40
12. वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि — जे.आर. पावगी — Pgs. 47
13. विश्वमान्य राजनेता अटलजी — कैलाश जोशी — Pgs. 50
14. रात के बारह बजे संगीत की फरमाइश — सुधीर फड़के — Pgs. 55
15. मैं तो अपनी संख्या बढ़ा रहा हूँ — त्रियुगीनारायण शुक्ल — Pgs. 57
16. जब मैंने उन्हें ‘यस प्राइम मिनिस्टर’
उपहार में दी — ना.मा. घटाटे — Pgs. 58
17. हू आफ्टर अटल? — डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन — Pgs. 64
18. उनसे मिलने पर थम सा जाता है कालचक्र — प्रो. रामकुमार चतुर्वेदी ‘चंचल’ — Pgs. 67
19. उनके गण लेने पर प्रसन्न
हो जाते थे स्वयंसेवक — लक्ष्मण श्रीकृष्णराव भिड़े — Pgs. 73
20. एक अजातशत्रु — उत्तम चंद इसराणी — Pgs. 81
21. वह वाणी, वह मौन! — यशवंत इंदापुरकर — Pgs. 83
22. न दैन्यं न पलायनम् — शैवाल सत्यार्थी — Pgs. 85
23. राजनीति के शिखर पुरुष — भगवतीधर वाजपेयी — Pgs. 90
24. जब भीड़ ने आल्हा छोड़ विद्रोह किया — शिवकुमार गोयल — Pgs. 92
25. मुंबई के अटल और अटलजी की मुंबई — मुजफ्फर हुसैन — Pgs. 97
26. हमारे गटनायक थे अटलजी — मधुकर शिंखेड़कर — Pgs. 104
27. तीन पीढि़यों के आदर्श — विक्रम वर्मा — Pgs. 105
28. जिसका कद सबसे ऊँचा — यशवंत सिन्हा — Pgs. 107
29. यह देश का सौभाग्य — सुरेश पी. प्रभु — Pgs. 108
30. छात्रों ने उन्हें ‘लैंप’ भेंट किया — डॉ. शंकर पुणतांबेकर — Pgs. 109
31. अटलजी ने निमंत्रण स्वीकारा — लक्ष्मीनारायण मालपानी — Pgs. 113
32. बटेश्वर का ‘अटला’ लोकतंत्र का महानायक — लोकेंद्र पाराशर — Pgs. 114
33. अखबार निकालना टेढ़ी खीर — जयकिशन शर्मा — Pgs. 118
34. केशवकुल कमल — नरसिंह जोशी — Pgs. 121
35. किसी और दल के पास नहीं ऐसा नेता — डॉ. गौरीनाथ रस्तोगी — Pgs. 125
36. कहिए सुकुलजी महाराज! — Pgs. — श्रीनिवास शुक्ल — Pgs. 128
37. अपने अटलजी — रामलाल दीक्षित — Pgs. 131
38. अटल और प्रचार माध्यम — भालचंद्र (बाबा) खानवलकर — Pgs. 134
39. बस एक ही शब्द! — विवेक शेजवलकर — Pgs. 136
40. ऐसी है उनकी सादगी : श्रीकृष्ण सरल — डॉ. उपेंद्र विश्वास — Pgs. 138
41. साक्षात्कार अटलजी के संघ गुरु से — प्रशांत इंदुरकर — Pgs. 139
42. स्वयंसेवक प्रधानमंत्री — वि.ना. देवधर — Pgs. 144
43. मुझे राष्ट्र के लिए कुछ
जिम्मेदारियाँ पूरी करनी हैं — आलोक तोमर — Pgs. 148
44. मेरे भाषणों में मेरा लेखक ही बोलता है — डॉ. चंद्रिका प्रसाद शर्मा — Pgs. 153
45. उनके गुणों से राजनीति में सौहार्द
बढ़ा दिग्विजय सिंह — रामभुवन सिंह कुशवाह — Pgs. 157
46. विश्व पटल पर उभरे बेमिसाल सितारे — यशोधरा राजे सिंधिया — Pgs. 160
47. वर्तमान के राजा दिलीप हैं अटलजी — पं. रमेश उपाध्याय — Pgs. 162
48. उनके सीने में उनका शाइर दोस्त बैठा है — डॉ. अली सरदार जाफरी — Pgs. 165
49. अटल कवि ‘अटल’ — शांतिस्वरूप चाचा — Pgs. 168
50. यहीं से हाँ, यहीं से जिंदगी आरंभ होती है — डॉ. पूनमचंद्र तिवारी — Pgs. 170
51. एक पाठक की दृष्टि में कविवर अटल — डॉ. ओमप्रकाश आर्य — Pgs. 173
52. कोई कवि अटलायन लिखे — दिनेश भारद्वाज — Pgs. 177
53. कविता-राजनीति के बीच
बँटा एक श्रेष्ठ कवि — सुरेंद्र मिश्रा — Pgs. 182
54. अटलजी जैसा मैंने देखा-सुना — जगदीश तोमर — Pgs. 185
55. एक चुनाव ऐसा भी — गोपाल गणेश टेंबे — Pgs. 188
56. पालने में दिखाई दे गए थे पूत के पाँव — नरेश जौहरी — Pgs. 192
57. पत्रकार स्वतंत्र हैं — बनवारी बजाज — Pgs. 194
58. छोेटे-बड़े सभी के साथ आत्मीय — भाऊसाहेब पोतनीस — Pgs. 195
59. अटल का सम्मोहन भारतीय
राजनीति का शिखर — Pgs. — भरतचंद्र नायक — Pgs. 197
60. विश्व पटल पर ‘अटल’ हस्ताक्षर — डॉ. दिलीप मिश्र — Pgs. 200
61. मंगल भवन अमंगल हारी — शीतला सहाय — Pgs. 203
62. शिक्षा, संस्कार देता कृष्ण बिहारी
वाजपेयी न्यास — प्रवीण दुबे — Pgs. 206
63. बहनों के दुलारे भाई अटल — प्रवीण दुबे — Pgs. 210
64. कक्की के उलाहने सुनने में
मजा आता था उन्हें — डॉ. सुमन मिश्रा — Pgs. 215
65. मानवीय गुणों ने उन्हें ख्याति दी — डॉ. विनोद कुमारी दीक्षित — Pgs. 216
66. होली पर ठंडाई और दिवाली पर
मिठाई के शौकीन हैं देवरजी — प्रवीण दुबे — Pgs. 218
67. क्या फर्क पड़ता है—मैं अटलजी
को जानता हूँ — रामभुवन सिंह कुशवाह — Pgs. 221
68. कूटनीति के शीर्ष विशेषज्ञ अटलजी — डॉ. नीलेंद्र तोमर — Pgs. 224
69. गुरुजी के पाँच पांडवों में से एक — राजेंद्र तिवारी — Pgs. 226
70. यदि नेता नहीं अभिनेता होते तो. — कमल वशिष्ठ — Pgs. 228
71. मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूँ — आजाद रामपुरी — Pgs. 230
72. शुरू से रहे अन्याय, अनैतिकता के खिलाफ — लक्ष्मीनारायण अग्रवाल — Pgs. 232
73. राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा — पं. बालकृष्ण भारद्वाज — Pgs. 235
74. सरल एवं सहज स्वभाव के धनी हैं अटलजी — डॉ. सतीश बत्रा — Pgs. 237
75. ऐसी है उनकी विनोदप्रियता — प्रभुदयाल गुप्ता — Pgs. 238
76. कैसे हो गए आज हम देशद्रोही? — पु.के. चितले — Pgs. 240
प्रभात झा
जन्म : सन् 1958, दरभंगा (बिहार)।
शिक्षा : स्नातक (विज्ञान), कला में स्नातकोत्तर, एल-एल.बी., पत्रकारिता में डिप्लोमा (मुंबई)। जगतगुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट (उ.प्र.) से डी.लिट की उपाधि प्राप्त।
कृतित्व : 'शिल्पी' (तीन खंड), 'अजातशत्रु दीनदयालजी', 'जन गण मन' (तीन खंड), 'समर्थ भारत', 'गौरवशाली भारत', कृतियों के अलावा विभिन्न स्मारिकाओं एवं पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। दैनिक भास्कर, नई दुनिया, हरिभूमि, स्वदेश, ट्रिब्यून, प्रभात खबर, राँची एक्सप्रेस, आज एवं वार्ता के नियमित स्तंभकार तथा राजनैतिक विश्लेषक के रूप में सतत लेखन कार्य जारी। हिंदी 'स्वदेश' समाचार-पत्र में सहयोगी संपादक रहे। वक्ता के रूप में प्रतिष्ठित संस्थानों में नियमित आमंत्रित।
संप्रति : राज्यसभा सांसद तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (भारतीय जनता पार्टी) एवं संपादक 'कमल संदेश' (हिंदी एवं अंग्रेजी)।
इ-मेल : prabhatjhabjp@gmail.com