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Hamari Rashtriyata Aur Rashtriya Swayamsevak Sangh ""हमारी राष्ट्रीयता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ"" Book in Hindi- Shri Anil Joshi & Shri Rajendra Arya
भारतीय संस्कृति में वक्ता-श्रोता के बीच संवाद का एक पुरातन इतिहास है। वक्ता-श्रोता के बीच हुए संवाद से हमारे समाज को अनेकविशद चिंतन और दर्शन प्राप्त हुए। हमारे अनेक पुराण वक्ता-श्रोता के बीचहुए संवाद पर आधारित हैं। कभी यह ज्ञान भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद के माध्यम से श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में हमें मिला, तो कभी ऋषि याज्ञवल्क्य और भारद्वाज मुनि के बीच हुए संवाद के माध्यम सेश्री रामचरितमानस के रूप में मिला।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विषय में भी स्थापना से लेकर अब तक समाज में अनेक भ्रांतियाँ फैलाने का प्रयास किया गया, तब विश्व के इस सबसे बड़े संगठन के विषय को स्वयं पूज्य सरसंघचालक से बेहतर कौन रख सकता है। मुझे विश्वास है कि पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी के व्याख्यानों पर आधारित यह लघु पुस्तिका एक वृहद् पाठकवर्ग को नया चिंतनप्रदान करने वाली सिद्ध होगी।
मोहन भागवत
1950 में चंद्रपुर, महाराष्ट्र में जन्म। बाल्यकाल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक। पशु-चिकित्सा विज्ञान में पदवी प्राप्त करने के उपरांत राष्ट्र-कार्य हेतु समर्पित। प्रखर चिंतक-विचारक एवं ओजस्वी वक्ता। सर्वसमाज को एकीकृत कर ‘यशस्वी भारत’ के निर्माण के लिए सतत सक्रिय।