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Hamari Sanskritik Dharohar   

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Author Shankar Dayal Sharma
Features
  • ISBN : 9789386231826
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Shankar Dayal Sharma
  • 9789386231826
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 128
  • Hard Cover

Description

हमारे देश का प्राचीन चिंतन तथा प्राचीन संस्कृति अत्यंत प्रगतिशील एवं समृद्ध रही है । हमारे देश में अनेक चिंतक, साधक-संत तथा महापुरुष हुए । उन सभी ने अपने युग को गहराई से देखा, समझा और फिर एक अच्छे भविष्य के लिए अपनी बातें कहीं । इन सभी के चिंतन के मूल में एक स्वच्छ एवं समतावादी सामाजिक व्यवस्था की स्थापना की भावना थी । यह बात अलग है कि धर्मप्राण समाज ने उन चिंतनों को एक धार्मिक-विधि के रूप में लिया । बाद में इन चिंतनों में धीरे- धीरे विकार आने लगता । समाज धर्म के मूल से हटकर भटकने लगता । ऐसे समय में फिर किसी चिंतक या संत का उदय होता और इस तरह एक नए पंथ की स्थापना हो जाती । इस प्रकार भारत नए-नए विचारों से समृद्ध होता गया । लेकिन इन विभिन्न विचारों के केंद्र में हमेशा एक बात रही- ' 'एकैव मानुषि जाति ।’’ - इसी पुस्तक से

The Author

Shankar Dayal Sharma

डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने जुलाई 1992 में भारत के राष्‍ट्रपति का पद ग्रहण किया। इससे पूर्व वे सिंतबर 1987 से भारत के उपराष्‍ट्रपति तथा राज्यसभा के अध्यक्ष थे। इस दौरान वे केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता विश्‍वविद्यालय संस्‍थान भोपाल के कुलाध्यक्षर तथा भरतीय लोक प्रशासन संस्‍थान एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद‍् के अध्यक्ष भी रहे।
डॉ. शर्मा ने सेंट जॉन्स कॉलेज आगरा, इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय तथा लखनऊ विश्‍वविद्यालय से अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत और विधि में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ अर्जित कीं। उन्होंने कैंब्रिज विश्‍वविद्यालय से विधि में ‘डॉक्‍टर ऑफ फिलॉसफी’ की उपाधि प्राप्‍त की और ‘हार्वर्ड लॉ स्कूल’ के फैलो रहे तथा ‘लिंकन इन’ से ‘बार-एट-लॉ’ किया, जदुपरांत लखनऊ विश्‍वविद्यालय एवं कैंब्रिज विश्‍वविद्यालय में विधि का अध्यापन किया।
डॉ. शर्मा को विक्रम विश्‍व‌वद्यालय, उज्‍जैन; भोपाल विश्‍वविद्यालय; आगरा विश्‍वविद्यालय; श्री वेंकटेश्‍वर विश्‍वविद्यालय, तिरुपति; देवी अहिल्या विश्‍वविद्यालय, इंदौर; रुड़की विश्‍वविद्यालय; मेरठ विश्‍वविद्यालय; मॉरीशस विश्‍वविद्यालय, पोर्ट लुई तथा कैंब्रिज विश्‍वविद्यालय ने मानद‍् उपाधियाँ प्रदान कीं।
डॉ. शर्मा ने स्वतंत्रता आंदोलन एवं भोपाल के विलनीकरण आंदोलन में भाग लिया तथा तेल गए। स्वतंत्रता के आरंभिक वर्षों में वे भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री तथा बाद में मध्य प्रदेश मंत्री परिषद् और केंद्रीय मंत्री परिषद् के सदस्य रहे। भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष होनो के अतिरिक्‍त वे आंध्र प्रदेश, पंजाब और महाराष्‍ट्र के राज्यपाल तथा इन राज्यों के विश्‍वविद्यालयों के कुला‌ध‌िपति भी रहे।
डॉ. शर्मा ने हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं में प्रचुर लेखन एवं संपादन भी किया। डॉ. शर्मा को उनके ज्ञान, मानवतावाद तथा उदारता के लिए उतना ही सम्मान प्राप्‍‍त था जितना कि राष्‍ट्र-निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों में उनके उल्‍लेखनीय योगदान के लिए।
26 दिसंबर, 1999 को आपका स्वर्गवास हुआ।

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