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Hansuli Chand Ki   

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Author Urvashi Agrawal ‘Urvi’
Features
  • ISBN : 9789392013621
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Urvashi Agrawal ‘Urvi’
  • 9789392013621
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 144
  • Soft Cover
  • 150 Grams

Description

"दोहा विधा की लोकप्रियता निरंतर तेजी से बढ़ती जा रही है और यह लोकप्रियता अब सरहदों को भी तोड़ चुकी है। दोहा अपने आप में एक संपूर्ण कविता है। अगर एक अच्छा दोहा हो गया तो वह कई कविताओं पर भारी पड़ता है और बहुत दूर तक और बहुत देर तक यात्रा करता है। दोहा एक मंत्र की तरह होता है, यदि सध जाए तो इसकी मारक क्षमता में गजब का प्रभाव आ जाता है।

उर्वशी जी के दोहों में जीवन कई-कई रूपों में सामने आता है। जीवन की विवशताएँ हों, विद्रूपताएँ हों, विडंबनाएँ हों, सब पर उन्होंने कलम चलाई है। इन सबमें भी प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप में उनका नारीमन झाँकता है। इसे उनका स्त्रीबोध भी कह सकते हैं। अगर ऐसे अनेक दोहों को अलग से रखकर इन्हें देखा-परखा जाए तो उर्वशी जी ने इन दोहों के माध्यम से अपना मौलिक स्त्री विमर्श भी हमारे सामने रखा है, जिसे आप नितांत भारतीय कह सकते हैं।

यूँ तो मैं भी मानता हूँ कि यश-अपयश विधि के हाथ में होता है, लेकिन उर्वशी 'उर्वी' के दोहों की प्रसिद्धि मैं सुनिश्चित मानता हूँ। इन दोहों की सहजता और सरलता में जो वैशिष्ट्य उभरता है, वो उर्वशी को यकीनन यशस्वी बनाएगा। आग्रह है कि 'हँसुली चाँद की' के दोहों से अवश्य गुजरें। उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी' के उदात्त नारीमन का यह भावलोक आप सबको भी यक़ीनन आकृष्ट करेगा, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।"

The Author

Urvashi Agrawal ‘Urvi’

उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी'
बाल्यकाल से ही कविताएँ लिखने में विशेष रुचि। समय के साथ-साथ ग़ज़लें लिखने का भी अनुभव। महिला विषयों, विशेषकर उनकी विभिन्न भावनाओं को कविताओं, ग़ज़लों, दोहों और चौपाइयों के माध्यम से प्रस्तुत करती हैं। हिंदी के अतिरिक्त सरैकी भाषा में भी काव्य सृजन। आकाशवाणी द्वारा आयोजित हिंदी व सरैकी के कई काव्य प्रसारणों व कविता पाठ में सम्मलित हुई हैं। अनेक टी.वी. चैनलों के कार्यक्रमों में कविताएँ व ग़ज़लें प्रस्तुत की हैं। अब तक लगभग एक हज़ार हिंदी कविताओं व पाँच सौ ग़ज़लों का सृजन। पाँच कविता व ग़ज़ल-संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले हैं, जिनमें प्रमुख हैं खण्डकाव्य ‘व्यथा कहे पंचाली’ व दोहा संग्रह ‘मैं शबरी हूँ राम की’। दिल्ली व उसके आप-पास होने वाले कवि सम्मेलनों एवं मुशायरों में सक्रिय भागीदारी।

काव्य मंच संचालन में सिद्धहस्त एवं कई सफल कवि सम्मेलनों, काव्य गोष्ठियों का संचालन कर चुकी हैं।

संप्रति: 
वर्तमान में सुविख्यात हिंदी साहित्यिक पत्रिका ‘साहित्य अमृत’ की उप-संपादिका हैं।

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