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सातवीं कक्षा का एक तेजस्वी छात्र कुणाल मन-ही-मन अपनी कक्षा की एक छात्रा खुशी के प्रति आकर्षित हो जाता है। कुछ वर्ष बाद वह आई.आई.टी. में दाखिले की कोचिंग के लिए कोटा के एक बड़े संस्थान में दाखिला लेता है और एक बड़ा वैज्ञानिक बनने का सपना देखता है, पर बी.टेक. के सेकंड ईयर में शिक्षा-व्यवस्था की खामियों से परेशान होकर वह अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर एक कंपनी की स्थापना कर शीघ्र ही उसका सीईओ बन जाता है।
शिक्षा व्यवस्था को बदलने और खुशी को पाने की चाहत लिये कुणाल ‘वेव ऑफ एजुकेशन’ संस्था बनाकर देश का सबसे कम उम्र का एक सफल मोटिवेशन गुरु के तौर पर प्रसिद्ध हो जाता है, फिर वह 300 बच्चों के एक स्कूल और हॉस्पिटल बनाने के एक ऐसे प्रोजेक्ट में काम करता है, जिसमें कोई फीस काउंटर नहीं है, जहाँ सभी छात्रों को निःशुल्क शिक्षा और चिकित्सा मिलती है। कुणाल के इस मॉडल को बहुत जल्दी ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होती है और उसको विश्व के अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया जाता है। ...यह पुस्तक संस्कारों के साथ संघर्ष से सफलता प्राप्त करने के शानदार सफर की कहानी है।
लेखक 19 वर्ष की आयु में बी.टेक. की पढ़ाई बीच में छोड़ सफल वेबसाइट www.iitkhabar.com और Wave of Education जैसी हृत्रहृ बना चुके हैं। साथ ही डेढ़ लाख से भी अधिक विद्यार्थियों को जीवन में सफलता और असफलता का फर्क पहचानने का मंत्र देने के लिए सैंकड़ों निःशुल्क सेमिनार आयोजित कर चुके हैं। इनके सेमिनार के कारण छात्रों का जिंदगी के प्रति नजरिया सकारात्मक रूप से बदला है। अनेक राष्ट्रीय समाचार-पत्रों के अनुसार आज वे देश के सबसे कम उम्र के सफल मोटिवेशनल गुरु हैं।
कम उम्र में अपार लोकप्रियता और सफलता पाने के बाद उनके इस उपन्यास पर शीघ्र ही हिंदी फिल्म बननेवाली है। उनकी यह पुस्तक ‘Happiness ञ्च सक्सेस’ अंग्रेजी के अलावा शीघ्र ही विश्व की अनेक भाषाओं में भी प्रकाशित होगी।
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