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Author Krishna Agnihotri
Features
  • ISBN : 9789386871435
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Krishna Agnihotri
  • 9789386871435
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 168
  • Hard Cover

Description

हरि की प्रिया मीरा वर्षों पूर्व एक साधारण स्त्रा् से एक विशिष्ट महिला बन जाती है। सदियों से नारी कभी परदे में तो कभी बहुपत्नीत्व तो कभी पति प्रताड़ना तो कभी सास, ननद के विचारों तले दबी अपने अस्तित्व की खोज करती रही है। वो प्राणी है—उसे भी सामान्य रूप से जीवन की साँस लेने का अधिकार तो है, पर वंचित रह स्वयं को जीवित रखने हेतु भक्ति मार्ग ही सुरक्षित कवच होता है। संयम, नम्रता, बुद्धि व व्यवहार में स्त्रा् को पुरुष का सहयोग चाहिए, परंतु समाज को यह रास नहीं। 
मीरा भी समाज से टक्कर ले स्वयं को कृष्ण प्रेम में समर्पित कर देती है। कृष्ण-प्रेम मीरा के लिए ढोंग नहीं, एक सुलझी भक्ति साधना है, जिसे गुरु ने शक्तिवान बनाया है। ऐसी ही नारी व प्राणी ईश्वर का प्रिय होता है, जो कर्म, धर्म व मन से ईश्वर में लीन होता है। निर्मल मन, दृढ़ निश्चय व संयम व्यक्ति को भक्ति में डुबो देता है। मीरा अद्भुत शक्तिसंपन्न स्वामीजी के मार्ग-सहयोग से स्वयं को सशक्त नारी बना इतिहास में उल्लेखनीय बनाती है।
कृष्णभक्त मीरा की समर्पित भक्ति का जयघोष करती पठनीय औपन्यासिक कृति। 

 

The Author

Krishna Agnihotri

हरि की प्रिया मीरा वर्षों पूर्व एक साधारण स्त्रा् से एक विशिष्ट महिला बन जाती है। सदियों से नारी कभी परदे में तो कभी बहुपत्नीत्व तो कभी पति प्रताड़ना तो कभी सास, ननद के विचारों तले दबी अपने अस्तित्व की खोज करती रही है। वो प्राणी है—उसे भी सामान्य रूप से जीवन की साँस लेने का अधिकार तो है, पर वंचित रह स्वयं को जीवित रखने हेतु भक्ति मार्ग ही सुरक्षित कवच होता है। संयम, नम्रता, बुद्धि व व्यवहार में स्त्रा् को पुरुष का सहयोग चाहिए, परंतु समाज को यह रास नहीं। 
मीरा भी समाज से टक्कर ले स्वयं को कृष्ण प्रेम में समर्पित कर देती है। कृष्ण-प्रेम मीरा के लिए ढोंग नहीं, एक सुलझी भक्ति साधना है, जिसे गुरु ने शक्तिवान बनाया है। ऐसी ही नारी व प्राणी ईश्वर का प्रिय होता है, जो कर्म, धर्म व मन से ईश्वर में लीन होता है। निर्मल मन, दृढ़ निश्चय व संयम व्यक्ति को भक्ति में डुबो देता है। मीरा अद्भुत शक्तिसंपन्न स्वामीजी के मार्ग-सहयोग से स्वयं को सशक्त नारी बना इतिहास में उल्लेखनीय बनाती है।
कृष्णभक्त मीरा की समर्पित भक्ति का जयघोष करती पठनीय औपन्यासिक कृति। 

 

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