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"हर्षद मेहता एक ऐसा व्यक्ति था, जो देश में आज भी एक वित्तीय किंवदंती के रूप में कुख्यात है। अल्पकाल में ही उसकी प्रसिद्धि एवं भाग्य में जबरदस्त वृद्धि असाधारण थी। हर्षद मेहता की विरासत न केवल सफलता की है, बल्कि घोटालों और विवादों की भी है । यह उस काले कालखंड का स्मरण करवाती है, जिसने स्टॉक मार्किट को क्रैश करवा दिया; लाखों लोगों ने अपने खून-पसीने की कमाई गँवा दी; असंख्य परिवारों के सपने चूर-चूर हो गए।
हर्षद मेहता की कहानी महत्त्वाकांक्षा, लालच और दौलत के पीछे भागने की कहानी है । यह एक ऐसी कहानी है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी 1990 के दशक में थी और एक ऐसी कहानी है, जिससे हम सभी बड़ी सीख ले सकते हैं।
यह पुस्तक न केवल घटनाओं का पुनरावलोकन है, बल्कि उन कारकों को समझने का भी प्रयास है, जिनकी वजह से यह घोटाला हुआ। इसका उद्देश्य आमजन को कच्चे लालच में न फँसकर विवेकपूर्ण ढंग से, धैर्यपूर्वक शेयर बाजार में निवेश करने की सलाह देना है, ताकि वे पुनः किसी घोटालेबाज के कुकृत्यों से अपनी संचित जमा-पूँजी न गँवा बैठें।"
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।