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हस्तलिपि विज्ञान का लेखक के स्वभाव, व्यक्तित्व और मानसिक अवस्था से सीधा सम्बन्ध होता है । इसके द्वारा लिखने वाले की लिखावट के चिह्नों, अधोगामी, अग्रगामी, ऊर्ध्वगामी, वक्राकार व सीधी रेखाएं, विसर्ग और विराम आदि के विवेचन द्वारा व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया जा सकता है । कुछ भी लिखते समय व्यक्ति के स्वभाव, मन तथा चरित्र में जो भी प्रवृत्तियां प्रधान होती है, विशेष चिह्नों, लाइनों, घुमाव, बिन्दुओं, मात्राओं व उसकी लिखावट पर उसकी उन प्रवृत्तियों का स्पष्ट एवं शुद्ध प्रभाव पड़ता है, जिनसे उसके स्वभाव, मानसिक गठन तथा चरित्र के अनेक लक्षणों का पता चल जाता है ।
वास्तव में यह विद्या विज्ञान पर आधारित व्यक्ति के चरित्र का दर्पण है, जिसके द्वारा हम यह जान सकते हैं कि अमुक व्यक्ति कितने गहरे पानी मे है, उस पर कितना भरोसा किया जा सकता है तथा क्या वह कोई जिम्मेदारी संभालने के योग्य है अथवा नहीं?
व्यक्ति अपनी भाषा, वाणी, हाव- भाव इत्यादि को समयानुकूल नाटकीय बनाकर, तो किसी को धोखे में डाल सकता है, परन्तु अपनी लिखावट में वह अपने अन्तःकरण की अज्ञात प्रेरणाओं को स्पष्ट होने से नहीं रोक सकता ।
विशेषज्ञों ने लाखों व्यक्तियों की लिखावटों के चिह्नों का मिलान करके यह सिद्ध कर दिया है कि कोई भी दो लिखावटें पूर्ण रूप से समान नहीं हो सकतीं तथा हस्तलिपि के द्वारा आप किसी भी व्यक्ति का यथार्थ विश्लेषण कर सकते हैं ।