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‘हौसले की ऊँची उड़ान’ सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने की गौरवगाथा भर नहीं है, यह सलाम है उस जीवटता को, जो मनुष्य को सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ जीव बनाती है। ‘हौसले की ऊँची उड़ान’ वह दृढ़ता है, जो मनुष्य को असाध्य चुनौती को साधने की प्रेरणा और हिम्मत देती है। ‘हौसले की ऊँची उड़ान’ साहित्य से भी पहले एक भोगा हुआ यथार्थ है। इसमें प्रेम भी है और तड़प भी। संघर्ष भी है तो रस भी, कुटिलता भी है तो जिजीविषा भी, कमल और गुलाब है तो कीचड़ भी। इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष का महिमामंडन नहीं है, उद्देश्य है युवाओं को कर्तव्यपथ पर पूरी लगन के साथ चलने के लिए प्रेरित करना। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद यदि एक युवा भी अपने धुँधले पड़ गए लक्ष्य की ओर चलने के लिए प्रेरित होता है तो पुस्तक का लेखन और प्रकाशन सफल होगा।
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारियों, परीक्षा व उसके बाद की पूरी प्रक्रिया की सजीव कहानी जो हर अभ्यर्थी को लगभग अपनी लगेगी क्योंकि सबसे संघर्ष, परिश्रम, सपने और भविष्य एक से होते हैं। सफलता के लिए आवश्यक सूत्रों को भी रेखांकित करता अत्यंत पठनीय उपन्यास।
श्री सुरेंद्र मोहन 2010 बैच के भारतीय राजस्व सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं तथा अभी संयुक्त आयकर आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। उत्तर प्रदेश में जनमे और बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आनेवाले श्री सुरेंद्र मोहन के पिता सिविल न्यायालय में मुंशी के रूप में कार्यरत थे। चार भाई-बहनों में वे अपने माता-पिता की द्वितीय संतान हैं। वे ‘लोक प्रशासन’ विषय में लखनऊ विश्वविद्यालय से आर.एस. गोपाल गोल्ड मेडल के साथ परास्नातक हैं। साथ-ही-साथ आप ‘नालसर विश्वविद्यालय’ से ‘बिजनेस लॉ तथा टेक्सेशन’ में भी परास्नातक हैं। श्री सुरेंद्र मोहन लोक प्रशासन विषय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ-साथ ‘जूनियर रिसर्च फैलोशिप’ भी अपने प्रथम प्रयास में ही प्राप्त कर चुके हैं।
अपने कार्यक्षेत्र के साथ-साथ उन्हें साहित्य के क्षेत्र में भी खासी रुचि रही है। वे लेखक के साथ ही कवि, अध्यापक और आलोचक भी हैं। ‘हौसलेकी ऊँची उड़ान’ उनकी पहली प्रकाशित कृति है।
इ-मेल : surendrairs@gmail.com