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डिग्येन बर्मा फॉरेंसिक ऑडिटर व कॉरपोरेट जासूस हैं। एक पुराने दोस्त ने उनसे अपनी पत्नी व सहकर्मी की तलाश करने के लिए सहायता माँगी है, जो रहस्यमयी ढंग से एक आधिकारिक टूर के दौरान गायब हो गई। प्रकट तौर पर ऐसा लग रहा है कि कंपनी भी उस भटकने वाली पत्नी को तलाश करने की कोशिश कर रही है।
बर्मा ने कंपनी की जाँच-पड़ताल की, कर संबंधी विषय में हुए संदिग्ध सौदे, हवाला एजेंट्स के साथ लेन-देन, भारतीय चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए नकद भुगतान और कई और चौंकाने वाले समझौतों का खुलासा किया।
क्या उसके मित्र की पत्नी को आवश्यकता से अधिक जानकारी थी? या फिर वह हवाला चैनल में सीमा पार धन के आवागमन के लिए एक वाहक थी। किसका पैसा था यह? सॉफ्टवेयर विकसित करने की आड़ में कंपनी अपने कौन से एजेंडे को अंजाम दे रही थी?
आयकर विभाग द्वारा मारे गए छापों की सत्य कहानियों से प्रेरित ‘हवाला एजेंट’ पुस्तक इस तथ्य को आगे लाती है कि किस तरह से हवाला का उपयोग काले धन और वित्त आतंकवाद के लिए किया जाता है।