₹900
हिंदी-अंग्रेज़ी में ऐसे बहुत से शब्द हैं जिनके मूलरूपों में व्याकरणिक परिवर्तन होने के बाद ऐसी समस्या आती है कि पहले मूलरूप को रखा जाए अथवा व्युत्पन्न को । अकारादि क्रम को महत्व दिया गया है । हिंदी में आकारांत शब्दो में लिंग-वचन के अनुसार परिवर्तन होता है, जबकि अंग्रेज़ी में ऐसा नहें, जैसे अंगेंज़ी 'of' के लिए हिंदी में ‘का, ‘की’ , ‘के’ तीन रुप मिलते हैं । भुगतान, शासन, संकट, हिसाब का विशेषण रूप ‘दोहरा’ होगा जबकि ड्यूटी, प्रविष्ट, भूमिका के साथ उसका स्त्रीलिंग रूप ‘दोहरी’ आएगा । ‘मामले’ एक ओर 'Cases' के लिए बहुवचन रूप है दूसरी ओर ‘इस मामले में’ परसर्ग के कारण एकवचन है । हिंदी की इा विशेषता का अकारादि क्रम से कोश देखते समय ध्यान रखना चाहिए ।
भाषा विज्ञान तथा हिंदी भाषा के विविध पक्षों पर अनुसंधान के साथ-साथ साहित्य की नवीन विधाओं की ओर प्रवृत्त। मदन मोहन मालवीय पुरस्कार, अयोध्याप्रसाद खत्री पुरस्कार, नातालि पुरस्कार आदि से सम्मानित। आगरा तथा अलीगढ़ विश्वविद्यालय से संबद्ध रहे। भूतपूर्व प्रोफेसर तथा अध्यक्ष, हिंदी तथा प्रादेशिक भाषाएँ, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी। पूर्व निदेशक, वृंदावन शोध संस्थान, वृंदावन। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य। रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड के फेलो।
प्रमुख रचनाएँ : अंग्रेजी-हिंदी अभिव्यक्ति कोश, अंग्रेजी-हिंदी शब्दों का ठीक प्रयोग, भारतीय भाषाएँ, शब्दश्री, अखिल भारतीय प्रशासनिक कोश, अनुवाद कला : सिद्धांत और प्रयोग, कामकाजी हिंदी, व्यावहारिक हिंदी, विधा-विविधा, भाषा-भूगोल, हिंदी भाषा शिक्षण, हिंदी की बेसिक शब्दावली, हिंदी काव्य भाषा की प्रवृत्तियाँ, रोडा कृत राउलवेल, हिंदी साहित्य की नवीन विधाएँ, उभरी-गहरी रेखाएँ (सं.), हिंदी भाषा में अक्षर तथा शब्द की सीमा, ब्रजभाषा तथा खड़ी बोली का तुलनात्मक अध्ययन, हिंदी साहित्य का वृहद् इतिहास : अद्यतन काल (सं.), हिंदी भाषा : स्वरूप और विकास, राजभाषा हिंदी, मानक हिंदी वर्तनी, संक्षेपण और पल्लवन, प्रयोजनमूलक हिंदी।