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मुहावरे में प्रधान है उसका लाक्षणिक अर्थ जिसका गठन अपरिवर्तनीय रहता है। गठन में परिवर्तन होते ही उसका लाक्षणिक अर्थ बेमजा हो जाता है। ‘कमर टूटना’ को न ‘कटि भंग’ कर सकते हैं, न ‘कटि टूटना’। मुहावरे अधिकतर शारीरिक अंगों व चेष्टाओं, सामाजिक-राजनैतिक कथनों व घटनाओं पर आधारित होते हैं। मुहावरे में क्रियापद रहता है, जैसे—अंगूठा दिखाना, आँख दिखाना, अपना उल्लू सीधा करना आदि। हिंदी के मुहावरे तद्भव शब्दों पर आधारित हैं : हस्त, अक्षि, कर्ण, नासिका के स्थान पर मुहावरों में हाथ, आँख, कान, नाक का ही प्रयोग होगा और यही मुहावरेदानी हिंदी-उर्दू के परस्पर बाँधे हुए है।
लोक में प्रचलित उक्ति ही ‘लोकेक्ति’ है, जो किसी देश या काल से बँधी नहीं होती। वह तो सार्वकालिक व सार्वदेशिक है। लोकोक्तियाँ मानवीय अनुभवों के आधार पर बनती हैं। लोकोक्ति में संक्षिप्तता, सारगार्भिता, विदग्धता आदि गुण भरपूर होते हैं।
इस कोश में मुहावरों/लोकोक्तियों के अलग-अलग अर्थों को वर्णक्रमानुसार क्रम संख्या द्वारा तथा समानार्थकों को अर्धविराम द्वारा दर्शाया गया है। प्रयोगकर्ताओं के सुझावों का स्वागत किया जाएगा।
भाषा विज्ञान तथा हिंदी भाषा के विविध पक्षों पर अनुसंधान के साथ-साथ साहित्य की नवीन विधाओं की ओर प्रवृत्त। मदन मोहन मालवीय पुरस्कार, अयोध्याप्रसाद खत्री पुरस्कार, नातालि पुरस्कार आदि से सम्मानित। आगरा तथा अलीगढ़ विश्वविद्यालय से संबद्ध रहे। भूतपूर्व प्रोफेसर तथा अध्यक्ष, हिंदी तथा प्रादेशिक भाषाएँ, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी। पूर्व निदेशक, वृंदावन शोध संस्थान, वृंदावन। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य। रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड के फेलो।
प्रमुख रचनाएँ : अंग्रेजी-हिंदी अभिव्यक्ति कोश, अंग्रेजी-हिंदी शब्दों का ठीक प्रयोग, भारतीय भाषाएँ, शब्दश्री, अखिल भारतीय प्रशासनिक कोश, अनुवाद कला : सिद्धांत और प्रयोग, कामकाजी हिंदी, व्यावहारिक हिंदी, विधा-विविधा, भाषा-भूगोल, हिंदी भाषा शिक्षण, हिंदी की बेसिक शब्दावली, हिंदी काव्य भाषा की प्रवृत्तियाँ, रोडा कृत राउलवेल, हिंदी साहित्य की नवीन विधाएँ, उभरी-गहरी रेखाएँ (सं.), हिंदी भाषा में अक्षर तथा शब्द की सीमा, ब्रजभाषा तथा खड़ी बोली का तुलनात्मक अध्ययन, हिंदी साहित्य का वृहद् इतिहास : अद्यतन काल (सं.), हिंदी भाषा : स्वरूप और विकास, राजभाषा हिंदी, मानक हिंदी वर्तनी, संक्षेपण और पल्लवन, प्रयोजनमूलक हिंदी।