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भाषा और साहित्य के सवाल विषयनिष्ठ होते हैं। उनके किसी पक्ष पर सर्वसम्मत निष्कर्ष देना अत्यंत कठिन है। रचनाकारों के इतिवृत्त से जुडे़ जन्म एवं पुण्य तिथि, जन्म स्थान इत्यादि स्थूल तथ्य हों या उनके कृतित्व से जुडे़ गंभीर प्रश्न हों—उनके सीधे-सपष्ट और प्रत्यक्ष उत्तर भी कई बार विद्वानों, साहित्य-अध्येताओं और पाठकों को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि साहित्य जैसी कलाओं में व्यक्तिगत अभिरुचियों की गुंजाइश सबसे ज्यादा होती है। इन सब जोखिमों के बाद भी हम हिंदी साहित्य के वस्तुनिष्ठ इतिहास के साथ साहित्य-मर्मज्ञों और हिंदी विषय लेकर आजीविका अर्जित करने की इच्छा रखनेवाले विपुल युवा समाज के सम्मुख उपस्थित हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में वस्तुनिष्ठ विवेचन होते हुए भी प्रत्येक युग का साहित्य परिवेश, प्रमुख रचनाकारों का योगदान, युगीन साहित्यिक विशेषताएँ, आलोचकों, साहित्येतिहासकारों एवं रचनाकारों के चर्चित मत, परिभाषाओं और हिंदी साहित्य की अंतर्वर्ती ऐतिहासिक निरंतरता विश्लेषित कर प्रश्नोत्तर शैली में प्रस्तुत किया गया है। इससे विषय को समझने में सुगमता रहती है।
विद्यार्थी-शोधार्थी ही नहीं, हर आयुवर्ग के पाठकों के लिए एक उपयोगी पुस्तक।
सुमीता कुकरेती ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मध्यकालीन काव्य पर एम.फिल., पी-एच.डी. की शोध उपाधियाँ अर्जित कीं। बच्चों के लिए रचनात्मक लेखन के अलावा पहली से आठवीं कक्षा तक की प्रतिष्ठित पाठ्य-पुस्तक शृंखला ‘नई उमंग’ का संपादन। ‘कबीर काव्य में कालबोध’ पुस्तक चर्चित। लोकगीतों में बच्चे और शिक्षा मनोविज्ञान पर परियोजना पर कार्य। संप्रति दिल्ली प्रशासन के शिक्षा विभाग से संबद्ध।
हेमंत कुकरेती एक प्रतिष्ठित कवि। पाँच कविता-संग्रह, आलोचना की चार पुस्तकें, हिंदी साहित्य का इतिहास और अनेक विश्वविद्यालय स्तरीय पाठ्य-पुस्तकों का लेखन व संपादन। पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक की चर्चित पाठ्य-पुस्तक शृंखला ‘ज्ञानोदय’ का संपादन। ‘भारत भूषण सम्मान’, ‘कृति सम्मान’, ‘केदार सम्मान’ से सम्मानित। पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं के अलावा समीक्षात्मक टिप्पणियाँ प्रकाशित। कला-संस्कृति-फिल्म और रंगमंच पर नियमित लेखन। आकाशवाणी-दूरदर्शन के लिए रचनात्मक कार्य। अनेक कविताएँ भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनूदित; कविताओं पर आलोचना एवं शोधकार्य हो रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर श्यामलाल कॉलेज से संबद्ध। ‘साहित्य अमृत’ के संयुक्त संपादक।