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‘जिस व्यक्ति के अंदर ज्यादा गुण होते हैं, ऐसे व्यक्ति बहुगुणी होने से अनायास ही श्रद्धा के पात्र बन जाते हैं। ऐसे लोग ही महानायक की श्रेणी में आते हैं। ‘वसुधैव । कुटुम्बकम्' का भाव हृदयंगम करके चलनेवाले व्यक्ति के जीवन जीने का उद्देश्य स्वान्तः सुखाय' की अपेक्षा ‘बहुजन सुखाय' ही होता है। कतिपय ऐसे ही तपःपूत लोगों की श्रेणी में दिल्ली के पूर्व महापौर श्री महेश चंद्र शर्माजी आते हैं।शर्माजी की वाक्पटुता, व्यवहारोपयोगी। संयम, हिंदी भाषा के प्रति समर्पण, हिंदी साहित्य के प्रति प्रगाढ़ अनुराग, हिंदी साहित्य की वृद्धि, भारत और भारतीयता को अक्षुण्ण बनाए रखने के प्रति उनका त्याग, भारतीय संस्कृति के प्रति आत्मोत्सर्ग का यशस्वी भाव, गौ-सेवा व संवर्धन के प्रति भक्तिभाव के लिए अनवरत सेवा भाव आदि गुण हर किसी को अनायास ही प्रभावित करते हैं।
बयासी वसंत और पतझड़ के संयोग के अनुभव से अनुभूत होकर वे और अधिक सेवाभावी व विनयावनत हो गए हैं। उनकी पारखी दृष्टि वहीं पर टिकती है, जहाँ उन्हें सेवाभाव व समर्पण की किरण नजर आती है।
नई पीढ़ी को प्रेरित करने की दृष्टि से शर्माजी के उपर्युक्त गुणों को उजागर करने के लिए ही यह हस्तगत पुस्तक संपादित की गई है, जिसमें उनके व्यक्तित्व व कृतित्व का किंचित् लेखा-जोखा मिल जाता है। वक्त आने पर ऐसे लोग ही ‘महाजनो येन गतः स पन्थः' के रूप में स्वीकृति पाते हैं और बहुमत से जननायक माने जाते हैं।
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अनुक्रम
संदेश —Pgs. 5-19
अंतर्मन के उद्गार —Pgs. —संपादक की कलम से —Pgs. 21
1. श्री महेश चंद्र शर्मा अभिनंदनीय हैं —डॉ. कमल किशोर गोयनका —Pgs. 27
2. श्री महेशजी तुम सच्चे कवि-पुत्र हो —श्री बालस्वरूप राही —Pgs. 30
3. गाँव से शहर तक की यात्रा : एक नजर में —आचार्य ‘अनमोल’ —Pgs. 32
4. श्री महेश चंद्र शर्मा और उनका व्यक्तित्व —डॉ. कृष्ण मित्र —Pgs. 40
5. श्री महेश चंद्र शर्मा : एक व्यक्तित्व —श्री मेवाराम आर्य —Pgs. 44
6. हिंदी साहित्य सम्मेलन के पर्यायवाची : महेश चंद्र शर्मा —श्रीमती इंदिरा मोहन —Pgs. 45
7. विराट् व्यक्तित्व के धनी : श्री महेश चंद्र शर्मा —डॉ. रवि शर्मा ‘मधुप’ —Pgs. 48
8. अभी और भी सीखना है मुझे महेशजी से —डॉ. गोविंद व्यास —Pgs. 54
9. हिंदीसेवी एवं गौ-भक्त श्री महेश चंद्र शर्मा —विद्या वाचस्पति आचार्य सोहनलाल रामरंग —Pgs. 56
10. सक्रिय और परिणामकारी जीवन —Pgs. —श्री आलोक कुमार —Pgs. 58
11. बहुमुखी प्रतिभा के धनी : श्री महेश चंद्र शर्मा —श्री दीनानाथ बत्रा —Pgs. 60
12. हिंदी के पुरोधा : श्री महेश चंद्र शर्मा —Pgs. —गजेंद्र सोलंकी —Pgs. 62
13. मालवीयजी के अनुयायी हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान के पोषक : श्री महेश चंद्र शर्मा —श्री महेश दत्त शर्मा —Pgs. 64
14. मेरे मार्गदर्शक, निष्काम कर्मयोगी : महेशजी —डॉ. विनोद बब्बर —Pgs. 67
15. एक में अनेक : श्री महेश चंद्र शर्मा —Pgs. —डॉ. हरिसिंह पाल —Pgs. 71
16. भ्राताश्री श्री महेश चंद्र शर्माजी —डॉ. सुषमा पॉल मल्होत्रा —Pgs. 76
17. श्री महेश चंद्र शर्मा : सामाजिक व्यक्तित्व और अमिट कृतित्व —जे.पी. शर्मा —Pgs. 79
18. सेवा-समर्पण के धनी : श्री महेश चंद्र शर्मा —सुरेंद्र कुमार वधवा —Pgs. 82
19. मान्यवर महेश चंद्र शर्मा के सम्मान में गीत —स्व. गंगाशरण तृषित —Pgs. 84
20. प्रतिभाशाली व्यक्तित्व : श्री महेश चंद्र शर्मा —नत्थी सिंह बघेल —Pgs. 86
21. श्री महेश चंद्र शर्मा : एक कर्मठ व्यक्तित्व —रामगोपाल शर्मा —Pgs. 89
22. विविध दायित्वों के वाहक : शर्माजी —डॉ. संजीव सक्सेना —Pgs. 92
23. कर्मयोग के शिखर पुरुष : पं. महेश चंद्र शर्मा —राजेंद्र राजा —Pgs. 96
24. एक हिंदी प्रेमी के मन की पीड़ा —Pgs. —श्री अश्विनी कुमार —Pgs. 100
25. एक अनुकरणीय कार्यकर्ता : श्री महेश चंद्र शर्मा —श्रीमती किरण चोपड़ा —Pgs. 103
26. हिंदी समर्पित सेवी —Pgs. —प्रो. डॉ. सुंदरलाल कथूरिया —Pgs. 105
27. श्रेष्ठ वक्ता —Pgs. —रोहित बजाज —Pgs. 107
28. इस जन का उद्देश्य नहीं है श्रांत भवन में टिक जाना —Pgs. —डॉ. रामशरण गौड़ —Pgs. 109
29. महापौर श्री महेश चंद्र शर्मा —Pgs. —डॉ. मालती —Pgs. 112
30. श्री महेश चंद्र शर्मा, जितना मैंने जाना —Pgs. —बी.एल. गौड़ —Pgs. 116
31. सारस्वत सेवा के शिखर पुरुष : महेश चंद्र शर्मा —डॉ. पूरन चंद्र टंडन —Pgs. 118
पत्र-पत्रिकाओं, पत्रकारों की नजर में
भारतीय संस्कृति के प्रतीक —Pgs. 122
1. हिंदी भाषा के प्रबल पक्षधर : श्री महेश चंद्र शर्मा —श्री ओम शर्मा —Pgs. 125
2. हिंदी को रोजी-रोटी से जोड़ने की आवश्यकता —अरशद फरीदी —Pgs. 128
3. महेश चंद्र शर्मा ‘अक्षरम हिंदी सेवा सम्मान’ से सम्मानित —Pgs. —अनिल जोशी —Pgs. 130
4. भारतीय भाषा और संस्कृति नष्ट करने में लगे हैं कुछ पब्लिक और निजी स्कूल —Pgs. —पंजाब केसरी —Pgs. 132
5. मैली यमुना के लिए दोषी कौन? —Pgs. —पंजाब केसरी —Pgs. 134
6. वर्ष प्रतिपदा यह हिंदुओं का पावन दिवस है —Pgs. —Pgs. —दैनिक जागरण —Pgs. 136
आचार्य अनमोल जन्म : मोहल्ला-गडरपुरा, बजरिया चौराहा, धौलपुर (राज.)।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, संस्कृत), व्याकरणाचार्य, साहित्याचार्य, शिक्षाशास्त्री।
सेवापदः पी.जी.टी., हिंदी (दिल्ली प्रशासन, दिल्ली)। साहित्य सृजन : 25 से अधिक पुस्तकें एवं छह ग्रंथों की समीक्षा-लेखन तथा विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
सम्मानित : विद्वत् परिषद्, चंबा (हि.प्र.) द्वारा विशेष योगदान हेतु पुरस्कार', 2 DBN NCC' श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान', ‘श्रेष्ठ मंच संचालन।
साहित्यिक सेवा : प्रबंध मंत्री, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन, साहित्य सचिव, राष्ट्रवादी साहित्यकार संघ, दिल्ली, संपादक, ‘ब्रह्मसुधा' मासिक (अ.भा.ब्रा. महासभा) दिल्ली, कार्यकारिणी । सदस्य, साहित्य विधा, संस्कार भारती, दिल्ली प्रांत।
संपर्क : सी-84 (शास्त्री निवास), गली नं. 3, भजनपुरा, दिल्ली-53 मो. : 09654320867, 09968014568 (व्हाट्सऐप)