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आप छात्र हों या शिक्षक,
लेखक हों या पत्रकार,
शोधकर्ता हों या वक्ता-
अकसर कहानी, कविता, निबंध, भाषण या रिपोर्ट लिखते समय सही और सटीक शब्द की खोज में आपकी लेखनी अटक जाती है । समस्या तब और जटिल हो सकती है, जब किसी शब्द की एकाधिक अर्थ -छटाएँ आपको असमंजस में डाल दें ।
यह ' पर्यायवाची कोश ' अभिव्यक्ति की ऐसी अनेक अड़चनों को एक नजर में ही दूर करने में समर्थ है । प्राय: 18000 शब्दों के इस पर्यायवाची कोश में, वर्णमाला के अनुक्रम से, शब्द-संपादन सभी शिक्षा-स्तरों के पाठकों की सुविधा हेतु किया गया है । शब्द-पर्याय के लिए तद्भव, तत्सम और देशज शब्दों के साथ ही उर्दू और अंग्रेजी के भी बहुप्रचलित शब्दों का उपयोगी संकलन है इसमें । अमूर्त संकल्पनाओं के लिए हिंदी में नए गढ़े गए शब्दों के साथ उनके समानार्थी अंग्रेजी शब्द भी कोष्ठकों में समाहित हैं ।
इस प्रकार अपनी सभी विशेषताओं सहित यह संग्रहणीय कोश-ग्रंथ आपको अभिव्यक्ति की अर्थपूर्णता और शब्द-सामर्थ्य की सिद्धि में सर्वाधिक सहायक होगा-हमें विश्वास है!
डॉ. भोलानाथ तिवारी ४ नवंबर, १९२३ को गाजीपुर (उ.प्र.) के एक अनाम ग्रामीण परिवार में जनमे डॉ. तिवारी का जीवन बहुआयामी संघर्ष की अनवरत यात्रा थी, जो अपने सामर्थ्य की चरम सार्थकता तक पहुँची। बचपन से ही भारत के स्वाधीनता-संघर्ष में सक्रियता के सिवा अपने जीवन-संघर्ष में कुलीगिरी से आरंभ करके अंततः प्रतिष्ठित प्रोफेसर बनने तक की जीवंत जय-यात्रा डॉ. तिवारी ने अपने अंतरज्ञान और कर्म में अनन्य आस्था के बल पर गौरव सहित पूर्ण की। हिंदी के शब्दकोशीय और भाषा-वैज्ञानिक आयाम को समृद्ध और संपूर्ण करने का सर्वाधिक श्रेय मिला डॉ. तिवारी को। भाषा-विज्ञान, हिंदी भाषा की संरचना, अनुवाद के सिद्धांत और प्रयोग, शैली-विज्ञान, कोश-विज्ञान, कोश-रचना और साहित्य-समालोचना जैसे ज्ञान-गंभीर और श्रमसाध्य विषयों पर एक से बढ़कर एक प्रायः ८८ ग्रंथरत्नों का सृजन कर उन्होंने कृतित्व का कीर्तिमान स्थापित किया।
६६ वर्ष की आयु में २५ अक्तूबर, १९८९ को उनका निधन हो गया।