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Hindi Patrakarita : Ashvasti Aur Ashanka   

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Author Krishna Bihari Mishra
Features
  • ISBN : 9788177214222
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Krishna Bihari Mishra
  • 9788177214222
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 224
  • Hard Cover

Description

डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र को एक स्थान पर  बहुमान्य  पत्रकार  श्री अच्युतानंद मिश्र ने ‘हिंदी साहित्य और हिंदी पत्रकारिता के बीच सेतु’ कहा है। बात ठीक भी है। हिंदी के ललित-निबंध साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ डॉ. मिश्र ने हिंदी पत्रकारिता के इतिहास का गहरा अध्ययन किया है। यह अध्ययन आगे चलकर शोध की दिशा में बढ़ा और इसकी फलश्रुति हिंदी पत्रकारिता पर लगभग आधा दर्जन पुस्तकों के रूप में हुई। पत्रकारिता के छात्रों, शोधार्थियों, पेशेवर पत्रकारों तथा सामान्य पाठकों ने इन पुस्तकों को समभाव से ग्रहण किया—कृतज्ञता के साथ।
हिंदी पत्रकारिता, जातीय अस्मिता की जागरण-भूमिका का सरोकार पत्रकारिता के हेतु एवं प्रयोजन के साथ-साथ जातीय अस्मिता के संवर्धन में उसके महत्त्व से भी है। हमारे वरेण्य पत्रकारों में हिंदी पत्रकारिता की कठिन डगर पकड़ने की चाह क्यों और कैसे जगी तथा इस पथ पर उन्होंने अपना सर्वस्व क्यों निछावर किया, आदि प्रश्न यदि किसी के मन में उठें तो डॉ. मिश्र का सीधा उत्तर है—जातीय अस्मिता को जगाने के लिए। जातीय अस्मिता की जागृति में हिंदी पत्रकारिता को समर्पित साधकों ने कितने काल तक कितनी आहुतियाँ दीं, इस पुस्तक में उसके प्रेरक विवरण दर्ज हैं। यही नहीं, इस पुस्तक के दो परिशिष्टों में इस जागरण-भूमिका को पुष्ट करनेवाले दस्तावेज शामिल किए गए हैं। हिंदी के आसनसिद्ध निबंधकार की कलम से हिंदी पत्रकारिता के इतिहास से उजागर हुआ यह महत्त्वपूर्ण पक्ष हमारी जातीय अस्मिता के आलोक को देशव्यापी प्रसार देगा, ऐसा विश्वास और सहज आश्वस्ति है।

—अजयेंद्रनाथ त्रिवेदी

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अनुक्रम

प्रतीति —Pgs.7

आभार —Pgs.11

1. पृष्ठिका —Pgs.15

हिंदी पत्रकारिता का आदि चरण और बंगाल, हिंदी पत्रकारिता के नींव निर्माताओं की बलवती निष्ठा, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) का परवर्ती परिवेश और हिंदी पत्रकारिता, स्वदेशी आंदोलन और हिंदी पत्रकारिता, पुनर्जागरण-परिदृश्य, हिंदी पत्रकारिता की उत्स भूमि की कृति भूमिका, तिलक युग की जातीय अभीप्सा, महात्मा गांधी का सत्याग्रह : समय-संवेदना और हिंदी पत्रकारिता, हिंदी पत्रकारिता की साहित्यिक भूमिका

2. उपसंहार —Pgs.89

परिशिष्ट

परिशिष्ट : क —Pgs.100

‘उदंत मार्तंड’, ‘बंगदूत’, ‘भारत मित्र’, ‘सारसुधानिधि’, ‘उचितवक्ता’, ‘ब्राह्मण’, ‘सरस्वती’, ‘देवनागर’, ‘इंदु’, ‘प्रताप’, ‘प्रभा’, ‘आज’, ‘चाँद’, ‘समन्वय’, ‘माधुरी’, ‘सुधा’, ‘मतवाला’, ‘विशाल भारत’, ‘गंगा’, ‘हंस’, ‘जागरण’, ‘आज’ (15 अगस्त, 1947), प्रतीक, कल्पना, वसुधा।

परिशिष्ट : ख —Pgs.196

समाचार-पत्रों का आदर्श—बाबूराव विष्णु पराड़कर (प्रथम संपादक सम्मेलन (सन् 1945, वृंदावन) का अध्यक्षीय वक्तव्य) पत्रकार—संघर्ष और संभावनाएँ—माखनलाल चतुर्वेदी (द्वितीय पत्रकार-परिषद् (भरतपुर, 1927) अध्यक्षीय वक्तव्य) पत्रकार का दायित्व—गणेशशंकर विद्यार्थी (विष्णुदत्त शुक्ल की पुस्तक ‘पत्रकार-कला’ की भूमिका का महत्त्वपूर्ण अंश)

The Author

Krishna Bihari Mishra

कृष्ण बिहारी मिश्र
जन्म : सन् 1936 में बलिहार, बलिया (उ.प्र.) के किसान परिवार में।
शिक्षा : गोरखपुर के मिशन स्कूल, काशी हिंदू विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय से। हिंदी पत्रकारिता विषयक अनुशीलन पर कलकत्ता विश्वविद्यालय से ‘डॉक्टरेट’ की उपाधि प्राप्त। डी.लिट. की मानद उपाधि प्राप्त।
आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र और आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे विदग्ध आचार्यों की कक्षा तथा आचार्य नंददुलारे वाजपेयी एवं आचार्य चंद्रबली पांडेय जैसे पांक्तेय पंडितों के अंतरंग सान्निध्य से सारस्वत संस्कार और अनुशीलन-दृष्टि अर्जित।
उ.प्र. हिंदी संस्थान के ‘साहित्य भूषण’ पुरस्कार, ‘कल्पतरु की उत्सव लीला’ कृति पर ‘मूर्तिदेवी पुरस्कार’, ‘महात्मा गांधी साहित्य सम्मान’, ‘पद्मश्री’ अलंकार से विभूषित। 
रचना-संसार : 5 पत्रकारिता लेखन, 5 ललित-निबंध संग्रह, 8 विचार-प्रधान निबंध संग्रह, ‘नेह के नाते अनेक’ संस्मरण, ‘कल्पतरु की उत्सव लीला’ जीवन-प्रसंग, 5 कृतियाँ संपादित, ‘भगवान् बुद्ध’ कृति का अंग्रेजी से अनुवाद।
संपर्क : 7बी, हरिमोहन राय लेन, कोलकाता-700015
दूरभाष : 033-2251-0182

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