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Hindi Sahitya Ka Aadhunik Itihas    

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Author Tarak Nath Bali
Features
  • ISBN : 9789351868026
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Tarak Nath Bali
  • 9789351868026
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 528
  • Hard Cover

Description

हिंदी साहित्य भारतीय अस्मिता की गरिमा का वाहक है। इस व्यापक ऐतिहासिक आधार पर कोई भी हिंदी साहित्य का इतिहास नहीं लिखा गया।
इस इतिहास के पहले अध्याय में वैदिक-दर्शन से लेकर बौद्ध-दर्शन और जैन-दर्शन के विकास का विवरण दिया गया है। बौद्ध-दर्शन की बाद में महायान, हीनयान आदि शाखाएँ बनीं। इसी विकास में सिद्ध कवियों ने भाषा—बोलचाल की भाषा में कविता की रचना का आरंभ किया। इसी समय में नाथ कवियों ने भी भाषा में ही कविता की रचना की, जिसका विकास कबीर आदि निर्गुणीय कवियों में दिखाई देता है। इसी युग में दो अन्य महत्त्वपूर्ण धाराओं— रामभक्ति और कृष्णाभक्ति शाखा का विकास हुआ और इस प्रकार भारतीय अस्मिता की गरिमा की विविध सरणियों का चित्रण आरंभ हुआ। आधुनिक काल के आरंभ में ही दो महाकाव्यों—हरिऔध कृत ‘प्रिय प्रवास’ और गुप्तजी कृत ‘साकेत’ की रचना हुई और इस प्रकार इन प्राचीन कथाओं को आधुनिकता के संदर्भ से जोड़ा गया।
रामकथा और कृष्णकथा हिंदी साहित्य के प्रमुख स्रोत हैं। स्पष्ट है कि हिंदी साहित्य में हज़ारों वर्ष पुराने दो महत्त्वपूर्ण काव्यों— वाल्मीकि रामायण और महाभारत की कथाओं को आधुनिक संदर्भ में चित्रित किया गया।

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अनुक्रम

हिंदी साहित्य का आधुनिक इतिहास — Pgs. 9

भूमिका — Pgs. 11

1. पूर्व परंपरा दार्शनिक सांस्कृतिक विकास निरंतर विकसनशीलता — Pgs. 21

2. उपनिषदों की सामान्य विशेषताएँ — Pgs. 34

3. हिंदू संस्कृति — Pgs. 38

4. साधना के रूप — Pgs. 41

5. बौद्ध धर्म — Pgs. 46

6. भक्तिकाल का आरंभ — Pgs. 71

7. सामाजिक जीवन और मूल्यों का चित्रण — Pgs. 74

8. भक्ति काव्य — Pgs. 85

9. कबीर दास — Pgs. 95

10. गुरु नानक — Pgs. 104

11. दादूदयाल — Pgs. 105

12. सूफी शाखा — Pgs. 107

13. कुतबन कृत मृगावती — Pgs. 110

14. पद्मावत — Pgs. 113

15. राम भक्ति शाखा — Pgs. 117

16. रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि — Pgs. 121

17. गोस्वामी तुलसीदास — Pgs. 124

18. केशवदास — Pgs. 131

19. कृष्ण भक्ति शाखा — Pgs. 136

20. मीराबाई — Pgs. 146

21. भक्तिकाल के अन्य कवि — Pgs. 150

22. निर्गुण भक्ति का स्वरूप — Pgs. 158

भक्तिकाल

1. भक्ति साहित्य में दलित विमर्श — Pgs. 169

शृंगार काल

1. कालांतरण — Pgs. 175

2. कविता की सामान्य विशेषताएँ — Pgs. 183

3. शृंगारकाल के प्रमुख कवि — Pgs. 193

4. मतिराम — Pgs. 197

भूषण, भिखारी दास (दास), रसलीन

5. रीतिमुक्त स्वच्छंद कवि — Pgs. 219

बिहारी लाल, वृंद कवि, आलम, घनानंद, बोध, नागरी दास, सूदन, गुरुगोविंद सिंहजी

आधुनिककाल

1. आधुनिक काल का वैविध्य — Pgs. 241

भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग

2. राष्ट्रीय सांस्कृतिक कविता — Pgs. 247

3. सिया राम शरण गुप्त — Pgs. 252

4. माखनलाल चतुर्वेदी — Pgs. 252

5. बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ — Pgs. 253

6. सुभद्रा कुमारी चौहान — Pgs. 253

7. प्रमुख रचनाएँ — Pgs. 254

उर्मिला, पथिक तथा स्वान — Pgs. 255

8. छायावादी कवि — Pgs. 256

जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, प्रेम और मस्ती का काव्य, भगवतीचरण वर्मा, हरिवंशराय ‘बच्चन’, नरेंद्र शर्मा, अन्य कवि, ब्रजभाषा काव्य, अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’, जगन्नाथदास रत्नाकर, पं. गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही’, पंडित रामचंद शुक्ल, वियोगी हरि, आचार्य रामचंद्र शुक्ल की काव्य-दृष्टि : छायावाद के संदर्भ में, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की राष्ट्रीय चेतना, महादेवी वर्मा, हिंदी में सृजनात्मक लेखन-काव्य की भाषा, युगानुरूप काव्यशैली में परिवर्तन, काव्य भाषा का वैशिष्ट्य

9. आधुनिक काल की सामाजिक स्थिति : आधुनिक बोध — Pgs. 332

10. आधुनिक काल के आरंभिक साहित्यकार — Pgs. 335

भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रताप नारायण मिश्र, पंडित बदरी नारायण चौधरी प्रेमघन

11. दूसरा चरण : द्विवेदी युग — Pgs. 341

पंडित मदनमोहन मालवीय, बाबू श्यामसुंदर दास, श्रीधर पाठक, मैथिलीशरण गुप्त, सत्यनारायण कविरत्न

12. राष्ट्रीय-सांस्कृतिक कविता — Pgs. 355

हास्य-व्यंग्यात्मक काव्य, ब्रजभाषा-काव्य

13. छायावाद का दार्शनिक आधार — Pgs. 369

14. आचार्य रामचंद्र शुक्ल की काव्य-दृष्टि : आधुनिक काव्य के संदर्भ में — Pgs. 386

15. ‘कामायनी’ की अर्थ-संरचना — Pgs. 395

16. ‘कामायनी’ में मिथक और आधुनिक बोध — Pgs. 403

17. छायावाद : ऐतिहासिक परिदृश्य — Pgs. 411

18. आधुनिक हिंदी कविता : युग-विभाजन — Pgs. 418

19. आधुनिकीकरण और आधुनिक हिंदी-काव्य — Pgs. 427

20. छायावाद : परंपरा केंद्रित स्वच्छंदतावाद — Pgs. 435

21. छायावादी काव्य में परंपरा और प्रयोग — Pgs. 439

22. नई कविता — Pgs. 447

23. नई कविता का आरंभ — Pgs. 463

24. समकालीन बोध और आधुनिकोत्तरता — Pgs. 470

25. आधुनिक काल साहित्य की अन्य विधाएँ — Pgs. 482

निबंध साहित्य, आलोचना साहित्य, प्रमुख आलोचक, अन्य गद्य विधाएँ, सामाजिक परिवेश,

मूल्यों की सार्थकता, जयशंकर प्रसाद, हरिकृष्ण प्रेमी,

कथा साहित्य—उपन्यास, कहानी, निबंध, पत्रकारिता तथा ज्ञान का साहित्य

26. गद्य साहित्य की अन्य विधाएँ — Pgs. 511

27. उपसंहार — Pgs. 516

1. हिंदी साहित्य की सांस्कृतिक अस्मिता — Pgs. 516

2. प्राचीन साहित्य की आधुनिक सार्थकता — Pgs. 517

3. आधुनिक साहित्य के स्रोत : रामायण और महाभारत — Pgs. 518

4. ललित कलाओं का हृस — Pgs. 520

5. आधुनिक मूल्यबोध — Pgs. 520

6. हिंदी कविता की बुनियादी विशेषता — Pgs. 523

7. प्राचीन साहित्य की आधुनिक सार्थकता — Pgs. 525

8. आधुनिक साहित्य के स्रोत : रामायण और महाभारत — Pgs. 526

9. ललित कलाओं का हृस — Pgs. 527

 

The Author

Tarak Nath Bali

डॉ. तारक नाथ बाली का जन्म 17 नवंबर, 1933 को रावलपिंडी में हुआ। आरंभिक शिक्षा डी.ए.वी. स्कूल रावलपिंडी और फिर डैनीज हाई स्कूल रावलपिंडी में हुई। देश के विभाजन के बाद पूरा परिवार आगरा आ गया। वहाँ बैपटिस्ट हाई स्कूल में शिक्षा पाई। आगरा कॉलेज में प्रवेश किया और वहीं से हिंदी और दर्शनशास्त्र में एम.ए. किया। संस्कृत में एम.ए. करने का भी निश्चय किया, लेकिन एम.ए. प्रथम वर्ष पास करने के बाद किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली में अध्यापन आरंभ किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. की। विषय था—‘रस सिद्धांत की दार्शनिक और नैतिक व्याख्या’। इसके अतिरिक्त अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें प्रमुख हैं—‘भारतीय काव्यशास्त्र’, ‘पाश्चात्य काव्यशास्त्र’, ‘आलोचना प्रकृति और परिवेश’, ‘छायावाद और कामायनी’, ‘आधुनिक हिंदी कविता’, ‘युगद्रष्टा कबीर’, ‘सुमित्रानंदन पंत समीक्षा ग्रंथ’, ‘हिंदी साहित्यिक पारिभाषिक शब्दकोश’ आदि।
वर्ष 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बने, हिंदी विभाग के अध्यक्ष तथा आर्ट्स फैकल्टी के डीन बने। यूजीसी ने एक वर्ष के लिए नेशनल लैक्चरर (राष्ट्रीय प्रवक्ता) बनाया।
संपर्क : 173, नेशनल मीडिया सेंटर,
शंकर चौक, गुड़गाँव-122002
दूरभाष : 0124-2357228, 9717534040

 

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