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प्रसिध्द कोशकार डॉ. लक्ष्मीनारायण गर्ग का ‘हिंदी शब्दप्रयोग कोश’ किसी भाषा के अन्य कोशों से सर्वथा भिन्न ही नहीं, अत्यंत उपयोगी भी है। कोशों में प्रायः शब्दों के अर्थ उपलब्ध होते हैं। इसकी विशिष्टता यह है कि इसमें शब्दों के समुचित प्रयोगों को दृष्टिगत रखा गया है।
इस पुस्तक की एक विशेषता यह भी है कि ये प्रयोग सामान्य पुस्तकों से चयनित न होकर विशिष्ट कृतिकारों की सुप्रसिद्ध रचनाओं से संगृहीत किए गए हैं। पुस्तक में समृद्ध भारतीय संस्कृति एवं इसके अगाध अध्यात्म को उपेक्षित नहीं किया गया। ऋग्वेद, भर्तृहरि नीति शतक, महाभारत तथा रामचरितमानस तक से उत्कृष्ट उद्धरण उपलब्ध कराए गए हैं। अतः किसी भी शब्दकोश से यह ग्रंथ अधिक उपयोगी हो गया है।
यह कृति निश्चित ही हिंदी साहित्य की उपलब्धि है। शब्दकोशों के बहुत सारे शब्द तो अप्रयुक्त ही रह जाते हैं। इस गं्रथ के शब्दप्रयोग साहित्यधर्मियों, मुख्यतः नए रचनाकारों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
—राजेंद्र अवस्थी
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अनुक्रम
शत-शत नमन! — Pgs. 7
आभार — Pgs. 9
भूमिका — Pgs. 11
हिंदी शब्द-प्रयोग कोश — Pgs. 21
जन्म : 1938, अजमेर (राजस्थान)।
शिक्षा : एम.ए., पी.एचडी., पी.जी. डिप्लोमा अनुप्रयुक्त भाषा विज्ञान, पी.जी. डिप्लोमा पत्रकारिता।
प्रकाशन : ‘हिंदी कथा साहित्य में इतिहास’ (आलोचना), ‘अनुकंपा’ , ‘सिरफिरा’, ‘मनमाने के रिश्ते’, ‘अमर्ष’ (उपन्यास), ‘कथा के सात रंग’, (कहानी), ‘हिंदी शब्दप्रयोग कोश’, ‘परमाणु से नैनोप्रौद्योगिकी तक’, ‘शिक्षार्थी हिंदी प्रयोग कोश’, ‘महाभारत कोश’, ‘अंत्याक्षरी कोश’, ‘मनुष्य आंतरिक शक्तियों का नियामक’, ‘दूरसंचार कथा’, ‘आयुर्वेद विभिन्न पहलू’, ‘आज का अंतरिक्ष’ (अनुवाद), ‘फलित ज्योतिष : सार्थक या निरर्थक’, ‘हृठ्ठष्द्ग श्चशठ्ठ न क्चद्यह्वद्ग रूशशठ्ठ’ (प्रकाशनाधीन)।
संप्रति : केंद्रीय हिंदी निदेशालय के उपनिदेशक पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात् लेखन, संपादन और अनुवाद कार्य में संलग्न।