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Author Kamta Prasad Guru
Features
  • ISBN : 9789386871596
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Kamta Prasad Guru
  • 9789386871596
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2024
  • 496
  • Hard Cover
  • 500 Grams

Description

हिंदी तथा अन्यान्य भाषाओं के व्याकरणों से उचित सहायता लेने पर भी इस पुस्तक में जो विचार प्रकट किए गए हैं और जो सिद्धांत निश्चित किए गए हैं, वे साहित्यिक हिंदी से ही संबंध रखते हैं।  यहाँ यह कह देना अनुचित न होगा कि हिंदी व्याकरण की छोटी-मोटी कई पुस्तकें उपलब्ध होते हुए भी हिंदी में, इस समय अपने विषय और ढंग की यही एक व्यापक और संभवतः मौलिक पुस्तक है। इसमें प्रसिद्ध वैयाकरण श्री कामताप्रसाद गुरु का कई गं्रथों का अध्ययन और कई वर्षों का परिश्रम तथा विषय का अनुराग एवं स्वार्थत्याग सम्मिलित है। इस व्याकरण में अन्यान्य विशेषताओं के साथ-साथ एक बड़ी विशेषता यह भी है कि नियमों के स्पष्टीकरण के लिए इसमें जो उदाहरण दिए गए हैं, वे अधिकतर हिंदी के भिन्न-भिन्न कालों के प्रतिष्ठित और प्रामाणिक लेखकों के ग्रंथों से लिये गए हैं। इस विशेषता के कारण पुस्तक में यथासंभव अंधपरंपरा अथवा कृत्रिमता का दोष नहीं आने पाया है। 
अपने गुण-वैशिष्ट्य और प्रस्तुति के कारण हिंदी व्याकरण पर अब तक की सबसे प्रामाणिक और व्यावहारिक पुस्तक।

 

The Author

Kamta Prasad Guru

कामताप्रसाद गुरु का जन्म सागर (म.प्र.) में सन् 1875 में हुआ। सन् 1920 में लगभग एक वर्ष तक उन्होंने इंडियन प्रेस से प्रकाशित ‘बालसखा’ तथा ‘सरस्वती’ पत्रिकाओं का संपादन किया। वे बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे और उन्हें अनेक भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। ‘सत्य’, ‘प्रेम’, ‘पार्वती’  और  ‘यशोदा’  (उपन्यास), ‘भौमासुर वध’, ‘विनय पचासा’ (ब्रजभाषा काव्य), ‘पद्य पुष्पावली’, ‘सुदर्शन’ (पौराणिक  नाटक)  तथा  ‘हिंदुस्तानी शिष्टाचार’ उनकी उल्लेखनीय कृतियाँ हैं।
गुरुजी की असाधारण ख्याति उनकी उपर्युक्त साहित्यिक कृतियों से नहीं, बल्कि उनके ‘हिंदी व्याकरण’ के कारण है। यह हिंदी भाषा का सबसे बड़ा और प्रामाणिक व्याकरण माना जाता है। कतिपय विदेशी भाषाओं में इसके अनुवाद भी हुए हैं। ‘संक्षिप्त हिंदी व्याकरण’, ‘मध्य हिंदी व्याकरण’ और ‘प्रथम हिंदी व्याकरण’ इसी के संक्षिप्ताकृत संस्करण हैं। 
स्मृतिशेष : 16 नवंबर, 1947।

 

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