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यात्रा-साहित्य हिंदी साहित्य की लोकप्रिय रोचक एवं रोमांचक विधा है। हिंदी साहित्य की अमर विभूतियों में महापंडित राहुल सांकृत्यायन का नाम अविस्मरणीय है। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली और प्रेरणाप्रद रहा है। राहुलजी ने हमारे साहित्य को नई दिशा एवं प्रेरणा दी है। हिंदी साहित्य और हिंदी यात्रा-साहित्य को उनकी देन गुण और मात्रा दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण एवं अपरिमित है। जिस तरह उनके पाँव नहीं रुके, उसी तरह उनकी लेखनी भी चलती रही। डॉ. सेतेंग कोनगाड़ी ने इस पुस्तक में राहुलजी के यायावरी जीवन, अध्ययन की प्रवृत्ति एवं उनकी यात्रा का विशद, सजीव एवं सटीक वर्णन किया है। मनोरम प्रकृति, देश-विदेश, अज्ञात प्रदेश और दुर्गम क्षेत्र-वर्णन में वह इस कदर खो जाता है मानों स्वयं प्रत्यक्षदर्शी हो और सहयात्री बनकर यात्रा के आनंद में सहभागी हो जाता है। निष्कर्षतः यह पुस्तक सभी पाठकों के लिए मनोरंजक और ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगी।