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भारतीय सामाजिक व्यवस्था राजनीतिक दृष्टि से केवल भ्रमित है बल्कि उसकी चिंतन की दिशा भी त्रुटिपूर्ण है। हम राजनीतिक क्षेत्र में मात्र वोट की परिकल्पना से निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। जाति, वर्ग, पंथादि के भेद को आज देश में उच्च-निम्न की दृष्टि से देखा जा रहा है। ऐसे में अनावश्यक राजनीतिक दबाव के कारण इतिहास लेखन, सामाजिक विषयों की अभिव्यक्ति और कला एवं साहित्य का दूषित रूप उभर रहा है।
साढे़ छह हजार जातियों एवं पचास हजार से अधिक उपजातियों में बँटा हुआ आज का हिंदू समाज अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहा है। हिंदू चर्मकार जाति उसमें से एक है। पूर्व में चार वर्ण, एक सौ सत्रह गोत्र और छत्तीस जातियों में संपूर्ण हिंदू समाज सुव्यवस्थित था।
विदेशी अरेबियन आक्रांताओं के आक्रमण के पूर्व भारत में मुसलिम, सिख एवं दलित नहीं थे। धर्म के मूल्य पर बलपूर्वक चर्मकर्म में लगाई गई हिंदू चर्मकार जाति के स्वर्णिम गौरवशाली राजवंशीय इतिहास की यह एक शोधपरक प्रस्तुति है।
हिंदू चर्मकार जाति की वर्तमान स्थिति का आकलन एवं उसके सशक्तीकरण हेतु समाज एवं सरकार से विकास के उपाय एवं अनुशंसा इस कृति का मूल है। विशेष रूप से इस जाति के वंश, गोत्र और उपनाम के विस्तृत विवेचन के साथ हिंदू चर्मकार जाति का भारत के लिए प्रदत्त योगदान का उल्लेख अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। हिंदू चर्मकार जाति को अछूत, अपवित्र, अपमानित एवं तिरस्कृत जीवन के प्रत्येक तर्क को निराधार, निरर्थक एवं अतार्किक प्रमाणित करती यह कृति उनके गौरवशाली स्वर्णिम इतिहास को प्रकाशित करती है।
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अनुक्रम
आमुख — Pgs. 5
विचार भूमि — Pgs. 11
प्रस्तावना — Pgs. 25
अध्याय-1
हिंदू धर्म तथा जाति, वंश एवं गोत्र — Pgs. 45
1.1 हिंदू धर्म का सनातन स्वरूप — Pgs. 46
1.2 वैदिक काल एवं वर्तमान हिंदू जीवन-पद्धति — Pgs. 51
1.3 हिंदुस्थान में सभ्यता, संस्कृति, समृद्धि एवं गो-सेवा — Pgs. 56
1.4 हिंदू समाज में वर्ण, वंश, गोत्र एवं जातियाँ — Pgs. 68
1.5 चंवर वंश का राजवंशीय इतिहास — Pgs. 83
1.6 इसलामिक काल में बनी हिंदू चमार जाति — Pgs. 86
1.7 चमार जाति में ‘चंवर वंश’ — Pgs. 90
1.8 धर्मपरायण हिंदू चमार जाति — Pgs. 94
अध्याय-2
विदेशी इसलामिक शासकों के उत्पीड़न से बनी अस्पृश्य,
दलित और भारतीय मुसलमान जातियाँ — Pgs. 99
2.1 विदेशी इसलामिक आक्रमण — Pgs. 101
2.2 विदेशी मुसलिम आक्रांताओं का मुँहतोड़ उत्तर — Pgs. 106
2.3 लड़ाकू जातियों का उत्पीड़न एवं युद्धबंदियों से अमानवीय व्यवहार — Pgs. 111
2.4 विदेशी इसलामिक उत्पीड़न एवं अत्याचार स्वीकार्य किंतु इसलाम अस्वीकार्य — Pgs. 120
2.5 विदेशी इसलामिक शासकों के अत्याचार से दर-ब-दर एवं जंगलों में पलायन — Pgs. 124
2.6 दर-ब-दर जीवन एवं दलित पहचान के जिम्मेदार इसलामिक शासक — Pgs. 127
2.7 इसलामिक उत्पीड़न से बनी भारतीय मुसलमान जाति — Pgs. 130
2.8 अस्पृश्यता इसलामिक काल का सुनियोजित षड्यंत्र — Pgs. 137
अध्याय-3
धर्म के मूल्य पर चर्म-कर्म — Pgs. 140
3.1 मुसलिम संस्कृति एवं सभ्यता — Pgs. 142
3.2 इसलामिक काल में चमड़े की माँग अधिक और चर्मकर्मी कम — Pgs. 146
3.3 युद्धबंदियों से कराए गए निम्नकोटि के अस्वच्छ कार्य — Pgs. 151
3.4 चर्म-कार्य में स्वाभिमानी लोगों एवं जातियों को बलपूर्वक लगाया गया — Pgs. 155
3.5 धर्म परिवर्तन या चर्म-कार्य — Pgs. 157
3.6 धर्म की रक्षा अंतिम इच्छा — Pgs. 159
3.7 चर्म-कार्य में भी गोचर्म निकालना तथा मृत पशुओं को ढोना — Pgs. 161
3.8 चमार बने चर्म-कार्य से — Pgs. 167
अध्याय-4
चर्म-व्यवसाय आधारित भेद-भाव (अछूत, अपवित्र, अपमानित एवं तिरस्कृत जीवन) — Pgs. 170
4.1 हिंदू धर्म एवं पवित्रता की अवधारणा — Pgs. 171
4.2 सामाजिक पतन का कारण : मृत पशु को ढोना एवं गो चर्म निकालना — Pgs. 175
4.3 गो चर्म-कार्य से हिंदुओं में घृणा — Pgs. 177
4.4 मुसलिम आक्रांताओं द्वारा बड़ी संख्या में गो-वध — Pgs. 180
4.5 सामाजिक घृणा एवं तिरस्कार से गो चर्म-कर्मी पड़े अलग-थलग — Pgs. 183
4.6 छुआछूत एवं अपवित्रता अलगाव का मुख्य कारण — Pgs. 186
4.7 चर्म-कार्य में लगी जातियों की अलग पहचान — Pgs. 189
4.8 विदेशी मुसलिम आक्रांताओं द्वारा उत्पीडि़तों को दलित नाम देकर अंग्रेजों द्वारा दोहरी मार — Pgs. 191
अध्याय-5
हिंदू चमार जाति का वंश, गोत्र एवं राजवंशीय इतिहास — Pgs. 195
5.1 चंवर वंश एवं चमार जाति — Pgs. 196
5.2 चमार जाति के पूर्वज एवं प्राचीन वंश-परंपरा — Pgs. 199
5.3 चमार जाति के गोत्र — Pgs. 203
5.4 चमार जाति के प्राचीन वंशों का राजवंशीय इतिहास — Pgs. 206
5.5 चमार जाति के वंशजों की प्राचीन पहचान — Pgs. 208
5.6 चमार जाति का मध्यकालीन इतिहास — Pgs. 210
5.7 हिंदू-संस्कृति एवं परंपरा के पूर्ण वाहक — Pgs. 213
5.8 वर्तमान चमार जाति एवं हिंदू समाज — Pgs. 217
अध्याय-6
महर्षि रैदास एवं हिंदू धर्म रक्षा — Pgs. 220
6.1 धर्म, संस्कृति एवं नैतिकता में अग्रणी चमार जाति — Pgs. 221
6.2 इसलाम एवं ईसाईयत पूर्णरूपेण अस्वीकार्य — Pgs. 224
6.3 संत शिरोमणि गुरु रैदास — Pgs. 227
6.4 गुरु रैदास के पदानुयायी संपूर्ण हिंदू समाज — Pgs. 230
6.5 चमार जाति एवं रैदासी मत — Pgs. 233
6.6 हिंदू धर्म के महान् पुरोधा संत रैदास — Pgs. 237
6.7 महाराणा सांगा और संत रैदास — Pgs. 241
6.8 भक्त शिरोमणि मीरा के गुरु रैदास — Pgs. 243
अध्या -7
हिंदू चमार जाति का राष्ट्रीय योगदान — Pgs. 246
7.1 हिंदू सामाजिक व्यवस्था में चमार जाति — Pgs. 247
7.2 हिंदू धर्म की अभिन्न चमार जाति — Pgs. 250
7.3 हिंदू दलित जातियों से सहानुभूति के घडि़याली आँसू — Pgs. 252
7.4 इसलाम अस्वीकार्य — Pgs. 257
7.5 स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका — Pgs. 259
7.6 स्वतंत्र हिंदुस्थान के आर्थिक ढाँचे की मेरुदंड चमार जाति — Pgs. 263
7.7 हिंदुस्थान की सांस्कृतिक धरोहर की संवाहक चमार जाति — Pgs. 265
7.8 हिंदू चमार जाति में अनेकानेक धर्म पुरोधा — Pgs. 267
अध्याय-8
हिंदू चमार जाति की वर्तमान स्थिति एवं सशक्तीकरण — Pgs. 271
8.1 हिंदू समाज में अकारण कमजोर परिस्थिति — Pgs. 273
8.2 कमजोर भूमिका के सामाजिक पक्ष — Pgs. 276
8.3 कमजोर सामाजिक परिस्थिति के आर्थिक आयाम — Pgs. 278
8.4 कमजोर सामाजिक शक्ति के राजनीतिक कारण — Pgs. 280
8.5 हिंदू चमार जाति का वर्तमान आर्थिक एवं राजनैतिक स्वरूप — Pgs. 282
8.6 हिंदू चमार जाति एवं शिक्षा — Pgs. 285
8.7 विकास का एकमात्र सूत्र सामाजिक सशक्तीकरण — Pgs. 286
8.8 सशक्तीकरण के वर्तमान अभिकरण एवं उनका व्यावहारिक रूप — Pgs. 288
उपसंहार — Pgs. 291
परिशिष्ट : हिंदू चमार जातियों के संबोधन, उपनाम एवं गोत्र आदि की अनुसूची — Pgs. 300
संदर्भ ग्रंथ सूची — Pgs. 311