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HINDU DHARMA KI DHAROHAR : BHARATIYA SANSKRITI   

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Author Sanjay Rai Sherpuria
Features
  • ISBN : 9789355620293
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Sanjay Rai Sherpuria
  • 9789355620293
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2022
  • 448
  • Hard Cover
  • 450 Grams

Description

"‘हिंदू धर्म की धरोहरः भारतीय संस्कृति’ यह शीर्षक स्वयं में इस पुस्तक का समग्र परिचय करवा रहा है। सनातन हिंदू धर्म क्या है और किस प्रकार से यह भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि के रूप में निरंतर क्रियाशील है, यही तथ्य इस पुस्तक के आधार तत्व हैं। यज्ञ, हवन, शंख, पद्म, गाय, त्रिशूल, मंदिर, देवस्थान जैसे शब्द सनातन हिंदू वैदिक संस्कृति में ही हैं। ये केवल शब्द ही नहीं हैं बल्कि इन शब्दों के उच्चारण में ही ऐसा ध्वनित होता है कि जीवन और जीवन का रहस्य क्या है। हमारे देवी, देवता और धार्मिक प्रतीक क्या हैं? कैसे हैं? कितने महत्त्वपूर्ण हैं? क्यों हैं? स्वाभाविक है कि जिस प्रकार से समाज बदल रहा है और विश्व पटल पर अनेकानेक उपासना पद्धतियाँ जन्म ले रही हैं, ऐसे परिवेश में किसी को भी यदि हिंदू संस्कृति को जानना और समझना है तो संजय राय ‘शेरपुरिया’ की इस पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहिए। जिस विशिष्टता से इस पुस्तक में सनातन प्रतीकों को मोतियों की माला में पिरोया गया है, वह अद्भुत है। भारतीयता, संस्कृति और हिंदू विरासत को समझने के लिए इस पुस्तक में सभी प्रमुख तथ्य, तत्त्व और प्रतीक उपस्थित हैं। यह पुस्तक एक ऐसी कुंजिका है जो भावी पीढ़ी को अपने मूल से जोड़ने और हिंदू संस्कृति को समझने में सक्षम भूमिका का निर्वहन करेगी।
सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का वैशिष्ट्य और निरंतरता बताती पठनीय पुस्तक।

 

The Author

Sanjay Rai Sherpuria

संजय राय शेरपुरिया
हर बड़ी यात्रा की शुरुआत पहले कदम से होती है, जो विकास और निरंतरता की कहानी बनता है। इसका जीवंत उदाहरण है संजय राय और उनके समूह की विकास गाथा। उनकी कहानी सीमित संसाधनों में असीमित सपनों को साकार करने, उन्हें अपनी मेहनत, लगन और सूझ-बूझ से जमीन पर उतारने तथा उसे बडे़ व्यावसायिक संस्थानों में परिणत करने की है।
सुदूर असम में एक सामान्य किसान परिवार में जन्म लेनेवाले संजय राय अपने सपनों को साकार करने के लिए 17 साल की उम्र में गुजरात आए।  उनके साथ जो कुछ भी था, वह हाई स्कूल की डिग्री थी। अपनी कार्य कुशलता, उत्पादन गुणवत्ता के लिए नई उद्यमिता की निरंतर खोज, सांगठनिक क्षमता से कार्य कुशलता को आगे बढ़ाना और ग्राहक सेवा पर विशेष ध्यान देने की उनकी कार्यशैली ने बहुत कम समय में उन्हें अभूतपूर्व सफलता दी है। सन् 1997 में प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत सरकार से प्राप्त एक लाख रुपए के ऋण के साथ गुजरात से उनकी व्यावसायिक यात्रा और उद्यमशीलता की शुरुआत हुई। संजय राय का समूह आज रसायन, हाइड्रोकार्बन, नमक, ग्रीन ईंधन, खनन, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी और कई अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवा रहा है।

 

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