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राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त हिंदी साहित्याकाश के ऐसे देदीप्यमान नक्षत्र हैं, जिनकी ज्योति ने न सिर्फ आधुनिक हिंदी साहित्य का पथ आलोकित किया, वरन् पराधीन राष्ट्र को स्वातंत्र्य संग्राम के यज्ञ में आत्माहुति देने के लिए प्रवृत्त भी किया। गुप्तजी अपनी अमर कृति 'हिंदू' में सभी धर्मों के लोगों से राष्ट्र-रक्षा यज्ञ में सन्नद्ध होने का आह्वान करते हैं और हिंदुओं को उनकी अपरिमित शक्ति, शौर्य तथा गौरवशाली अतीत का भान कराते हैं । अब जबकि भारत संपूर्ण विश्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में तेजी से उभर रहा है, ऐसे में 'हिंदू' काव्य-कृति की उपादेयता और भी अधिक बढ़ जाती है।