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वास्तव में पाकिस्तान न कोई देश है और न राष्ट्र; यह केवल हिंदू विरोधी उग्र इस्लामी मानसिकता का गढ़ है। सन् 1947 में हुआ बँटवारा कोई दो भाइयों के बीच हुआ जमीन का बँटवारा नहीं था, यह हिंदुओं के प्रति इस्लाम के अनुयायी कट्टरपंथी मुल्लाओं की तीव्र घृणा का परिणाम था।
आज समय की आवश्यकता तो यह है कि स्वयं मुस्लिम भी इस्लाम की गिरफ्त से बाहर निकलें, लेकिन यह मुस्लिम समुदाय में बहुत बड़ी क्रांति से ही संभव है, पर जब तक यह नहीं होता, तब तक हिंदुओं को समझ लेना चाहिए कि इस्लाम के सीधे निशाने पर केवल हिंदू हैं।
आज यह बात ठीक से समझ लेने की जरूरत है कि इस्लाम का जन्म ही मूर्तिपूजा और बहुदेववाद को नष्ट करने के लिए हुआ है। उसके धर्मांध अनुयायियों ने भी मूर्तिपूजकों को जड़ से समाप्त करने का बीड़ा उठा रखा है। दुनिया में ईसाई और मुसलिम एक ही परंपरा की उपज हैं, इसलिए लाख शत्रुता के बाद भी एक-दूसरे के लिए उनके दिल में स्थान है। इसीलिए हिंदू दोनों के ही निशाने पर है।
प्रस्तुत पुस्तक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में इस्लाम का परिचय कराने के साथ-साथ हिंदुओं के संघर्ष को इस तरह पेश करती है कि सामान्य पाठक भी उसे सहज ही समझ ले। इस्लाम का यथातथ्य पूरी बेबाकी के साथ परिचय करानेवाली हिंदी की यह शायद पहली पुस्तक है। इसमें काफी साहसपूर्ण ढंग से अनेक ऐसे सत्य उद्घाटित किए गए हैं, जिनको जानना किसी भी जागरूक भारतीय के लिए आवश्यक है।
लक्ष्मी नारायण अग्रवाल जन्म: 9 सितंबर, 1952, लखनऊ में। शिक्षा: एम.एस-सी. (रसायनशास्त्र) लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, 1974। प्रकाशन: पुस्तकें: ‘आदमी और चेहरे’, ‘यही सच है’ अनेक कहानियाँ व व्यंग्य लेख पुरस्कृत। अनेक कविताएँ आकाशवाणी और दूरदर्शन से प्रसारित। स्तंभ-लेखन: हिंदी मिलाप की साप्ताहिक पत्रिका ‘मजा’ में तीन वर्ष तक क्रांतिकारियों पर लेखमाला; अग्रवाल शीर्षक से सौ व्यंग्य तथा गांधीजी पर 60 अंकों की लेखमाला प्रकाशित। पिछले दस साल से हैदराबाद के मंचों पर लगातार कवि-सम्मेलनों में भागीदारी। संप्रति: भारत सकार में हैंडराइटिंग एक्सपर्ट के रूप में काम करने के बाद सन् 1985 से इलेक्ट्रॉनिक्स व्यापार में।.