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Hindutva   

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Author Narendra Mohan
Features
  • ISBN : 9789352662777
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Narendra Mohan
  • 9789352662777
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 304
  • Hard Cover
  • 400 Grams

Description

हिंदुत्व एक ऐसी भू-सांस्कृतिक अवधारणा है, जिसमें सभी के लिए आदर है, स्थान है और सह-अस्तित्व का भाव भी । इस सह-अस्तित्व-प्रधान सांस्कृतिक चेतना ने इसे अत्यंत उदार, सहिष्णु और लचीला भी बनाया । बात तब बिगड़ी, जब विदेशी आक्रमणकारियों की संस्कृतियों ने इस अति सहिष्णु संस्कृति की उदारता का लाभ उठाकर इसकी जड़ें ही काटनी प्रारंभ कर दीं । हिंदुत्व की इस अति सहिष्णुता को उसकी कायरता माना गया तथा उसके जो भी मूल तत्त्व थे, उन्हें नष्‍ट- भ्रष्‍ट करने की हर संभव चेष्‍टा की गई; अभी भी इस हेतु तरह-तरह के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं । अति सहिष्णुता ने ' हिंदुत्व ' अर्थात् ' भारतीयता ' के समर्थकों व अनुयायियों को उदासीन, क्‍लैव्य और भाग्यवादी बना दिया है ।
' आत्मवत् ' का जो सर्वकल्याणकारी दर्शन है, उसका अर्थ यह नहीं था कि संसार व व्यवहार के धरातल पर हम स्वयं के प्रति अपने कर्तव्य को भूल जाएँ और आत्मरक्षा के प्रति सतर्क न रहें । आक्रमणकारियों के समक्ष पलायन करने की नीति का सह- अस्तित्व, सहिष्णुता के दर्शन और सिद्धांत से कुछ भी लेना-देना नहीं है । जब-जब आक्रमणकारी शत्रुओं से युद्ध करने में हिंदुत्व से चूक हुई है तब-तब केवल अपमान सहना पड़ा है; बल्कि पराधीनता में भी रहना पड़ा है । सत्य की खोज के प्रति हिंदुत्व इतना समर्पित है कि वह कहीं समझौता नहीं करता । उसके लिए जगत् होना वास्तविक सत्य नहीं है वह तो मिथ्या है; अर्थात् जो कुछ भी है, वह वास्तव में स्थायी सत्यप्रसूत केवल ' अद्वैत ' ही है । सब उसीके रूप, उसीकी कृति, उसके ही कर्म, उसका ही संगीत, उसकी ही ध्वनि, उसकी ही गति, अणु-परमाणु क्षर-अक्षर-सभी वही, एक परम चिद्सत्ता, परम चैतन्य ।
-इसी पुस्तक से

The Author

Narendra Mohan

नरेंद्र मोहन का जन्म 10 अक्‍तूबर, 1934 को हुआ । पत्रकारिता के क्षेत्र में वे लगभग 12 वर्ष की आयु में ही प्रवेश कर चुके थे । अब तक वे आठ हजार लेख, पाँच सौ से अधिक कविताएँ, सौ से अधिक कहानियाँ, दो दर्जन से अधिक नाटक लिख चुके हैं । उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।
उन्हें जीवन में देश-विदेश के भ्रमण का विशेष अवसर प्राप्‍त हुआ । उन्होंने अनेक बार विश्‍व के प्रमुख देशों की यात्राएँ कीं और विश्‍व के अनेक प्रमुखतम राष्‍ट्राध्यक्षों से मिलने का अवसर भी प्राप्‍त हुआ ।
नरेंद्रजी देश के प्रमुख पत्रकारिता संस्थान ' प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ' (पीटी. आई) के अध्यक्ष रहे । पत्रकारिता के अन्य संस्थानों की कार्यकारिणी के साथ-साथ अन्य पदों से भी जुड़े रहे । सन् 1996 में राज्यसभा के सदस्य चुने गए ।

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