₹300
दुनिया ने दूसरा ध्यानचंद नहीं देखा। हॉकी के जादूगर की पदवी उन्हें अनायास नहीं मिली। केवल ध्यानचंद ने ही मैदान पर अपनी जादूगरी से सभी को चमत्कृत और झंकृत नहीं किया, बल्कि रूप सिंह, किशन लाल, के.डी. सिंह ‘बाबू’, बलबीर सिंह, लेस्ली क्लाडियस, ऊधम सिंह, मो. शाहिद, परगट सिंह एवं धनराज पिल्लै सरीखे खिलाडि़यों की मौजूदगी से भारतीय हॉकी ने सफलता के नए आयाम स्थापित किए।
यह पुस्तक हॉकी के उन महान् खिलाडि़यों को याद करने की कोशिश भर नहीं है, बल्कि भावी पीढ़ी को उनके शानदार और जानदार प्रदर्शन से परिचित कराने की दृष्टि से लिखी गई है। यदि हॉकी में हमारी बादशाहत का सिलसिला लंबा चला तो उसके पीछे खिलाडि़यों का अद्भुत प्रदर्शन ही मूलमंत्र था।
आज की पीढ़ी भी इन योग्य खिलाडि़यों से सबक लेकर नया इतिहास लिख सकती है। उनमें प्रतिभा है, संभावना है और सबसे बड़ी बात, उन्हें अपने को साबित करने की चुनौती भी है।
भारतीय हॉकी के स्वर्णिम इतिहास के रचयिता खिलाडि़यों की संघर्ष-गाथा है यह पुस्तक, जो भावी खिलाडि़यों को प्रेरित करेगी और भारत इस खेल में पुनः विश्वपटल पर एक महाशक्ति बनकर उभरेगा।
__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
मेरी बात — 7
हॉकी का इतिहास — 11
1. हॉकी के जादूगर ध्यानचंद — 14
2. रूप सिंह को देश से पहले विदेश में सम्मान प्राप्त हुआ — 20
3. निश्चल व सरल किशन लाल — 24
4. ‘बबू’ जैसा सदाबहार कोई नहीं — 28
5. गोल्डेन ब्वॉय क्लाडियस — 33
6. जेंटल के आगे नतमस्तक पाक टीम — 37
7. चार ओलंपिक के गवाह ऊधम सिंह — 40
8. भारत रत्न के इंतजार में बलबीर — 44
9. पहले गोलकीपर कप्तान शंकर लक्ष्मण — 48
10. स्वर्णिम खिलाड़ी व प्रशिक्षक बाल किशन सिंह — 51
11. पेनाल्टी कॉर्नर के महारथी पृथीपाल — 54
12. हॉकी के हरफनमौला गुरबख्श — 57
13. ‘हरिकेन’ कहलाए हरबिंदर — 60
14. विश्वकप के नायक अजित पाल सिंह — 63
15. योग्य पिता के योग्य पुत्र अशोक — 67
16. खिलाड़ी, कोच प्रशासक सब बने गणेश — 72
17. असमय हॉकी से दूर असलम — 76
18. अंतिम स्वर्णिम कप्तान भास्करन — 81
19. बगावती तेवर के सुरजीत सिंह — 86
20. पढ़ाई व खेल दोनों में ‘अव्वल’ जफर — 89
21. कलात्मक हॉकी के सरताज मो. शाहिद — 93
22. दागी हुए पर हॉकी से दूर नहीं कौशिक — 98
23. आक्रामक हॉकी के अग्रदूत परगट — 102
24. हॉकी की दीवार दिलीप टिर्की — 106
25. गुदड़ी के लाल हैं धनराज — 109
विविध
1. पहले कप्तान जयपाल — 115
2. सबसे युवा कप्तान सरदार — 118
3. संसार में ‘संसारपुर’ जैसा गाँव नहीं — 122
4. रगों में हॉकी और उपनाम — 126
5. ओलंपिक में भारत — 128
6. ओलंपिक कप्तान — 130
7. विश्व कप में भारत — 132
8. चैंपियंस ट्रॉफी में जीत भारत के बूते नहीं — 135
9. एशियाई खेल — 138
10. अजलन शाह हॉकी कप — 139
11. पुरस्कार — 141
जन्म : 12 मई, 1952।
शिक्षा : एम.ए. (समाजशास्त्र)।
कार्यक्षेत्र : सन् 1972 से वाराणसी के दैनिक ‘आज’ से खेल पत्रकारिता की शुरुआत। सन् 1976 से 1979 तक दिल्ली में ‘समाचार भारती’, ‘खेल-खिलाड़ी’, ‘खेल-सम्राट्’ में कार्य। सन् 1980 से 1983 तक ‘अमृत-प्रभात’ में वरिष्ठ उप-संपादक/संवाददाता। सन् 1983 से 1993 तक ‘नवभारत टाइम्स’ में वरिष्ठ उप-संपादक/संवाददाता। सन् 1994 से 1996 तक ‘स्वतंत्र भारत’ कानपुर में वरिष्ठ उप-संपादक/ संवाददाता।
कृतित्व : ‘भारतीय वुशू संघ’ के संस्थापक उपाध्यक्ष होने के साथ ही क्वालालंपुर (मलेशिया) में भारतीय वुशू टीम (2003) के साथ प्रेक्षक के रूप में यात्रा। सन् 2001 में काठमांडू में आयोजित सैफ खेलों की कवरेज एवं सन् 1982 में दिल्ली एशियाड का ‘अमृत प्रभात’ के लिए कवरेज। इसके अलावा अनेक अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्पर्धाओं के लिए विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन।
प्रकाशन : उत्तर प्रदेश के हॉकी सितारे, निशानों के नायक।
संपर्क : 3/37, पत्रकारपुरम्, गोमती नगर, लखनऊ-226010
दूरभाष : 0522-2391687, 9936403929