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ऐलोपैथी चिकित्सा पद्धति से होनेवाले साइड इफेक्ट्स के कारण बड़ी संख्या में लोग होम्योपैथी चिकित्सा की ओर आकर्षित होने लगे हैं। प्रतिष्ठित एवं विख्यात होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. एम.बी.एल. सक्सेना के गहन अध्ययन और अनुभवों का परिणाम है यह पुस्तक। चूँकि आम आदमी रोगों को उनकी प्रकृति से ही समझता है, इसलिए पुस्तक में रोगों के नाम भी दिए गए हैं। उपचार पूरी तरह से रोगों की विशेषताओं और विचित्र लक्षणों पर आधारित हैं, जिनमें होम्योपैथी के सिद्धांतों का ध्यान रखा गया है। दवाओं की उपयुक्त पोटेंसी का भी सुझाव दिया गया है।
पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य होम्योपैथी चिकित्सा के संबंध में पाठकों को विस्तृत एवं व्यावहारिक जानकारी देने के साथ ही रोगियों को आसान और सस्ता उपचार उपलब्ध कराना है। यह पुस्तक होम्योपैथी चिकित्सकों के लिए भी संदर्भ पुस्तक के रूप में उपयोगी सिद्ध होगी।
डॉ. सक्सेना एम.एस-सी., पी-एच.डी., डी.एच.एम.बी. (गोल्ड मेडलिस्ट), आर.एम.पी. कृषि वैज्ञानिक रह चुके हैं। वे केंद्रीय रुक्ष अनुसंधान, जोधपुर में विभागाध्यक्ष और प्रधान वैज्ञानिक पद से वर्ष 1992 में सेवानिवृत्त हुए। सेवाकाल से अब तक करीब तीन दशक से भी अधिक समय से वे होम्योपैथिक एवं बायोकेमिकल चिकित्सा पद्धति से जुड़े हुए हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रशंसनीय कार्य किए हैं और ख्याति पाई है। स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के लिए उन्हें जोधपुर होम्योपैथिक एसोसिएशन ने प्रशंसा-पत्र और इंडियन बोर्ड ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता ने गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया है। उन्होंने होम्योपैथी विषय पर कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें प्रमुख हैं—‘सेल्फ हेल्प होम्योपैथी रेमेडीज’ (अंग्रेजी में) तथा ‘शिशु एवं बाल चिकित्सा’ (हिंदी में)।