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आज के समय में हृदय रोग और दिल के दौरे असामयिक मृत्यु के सबसे बड़े कारण हैं। विकासशील देशों में हृदय की बीमारियाँ महामारी बनकर उभर रही हैं।
कुछ साल पहले तक अधेड़ों और प्रौढ़ों का रोग माने जानेवाले हृदय रोग अब नौजवानों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहे हैं। अब 35 से 44 वर्ष की उम्र से ही लोग इसके चंगुल में आने लगे हैं और 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए तो हृदय रोग मौत का पर्याय ही बन गया है। भारत में भी प्रतिवर्ष लगभग 25 लाख लोग दिल के दौरे के कारण असामयिक मृत्यु के ग्रास बन रहे हैं।
प्रतिष्ठित व अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरुषोत्तम लाल ने प्रस्तुत पुस्तक में व्यावहारिक दृष्टि से हृदय रोग होने के कारणों पर उपयोगी चर्चा की है। साथ ही इस घातक रोग से बचाव के संबंध में बड़ी ही सरल, सुविधाजनक और सटीक जानकारी दी है।
डॉ. पुरुषोत्तम लाल मेट्रो हॉस्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीच्यूट्स (नोएडा) के मुख्य इंटरवेंशनल कॉर्डियोलॉजिस्ट तथा मेट्रो ग्रुफ ऑफ हॉस्पीटल्स के चेयरमैन हैं। डॉ. लाल 15 वर्ष तक अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन में काम करने के बाद हृदय रोगों की चिकित्सा की अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से आम लोगों की सेवा करने की भावना के साथ स्वदेश लौटे। उनका नाम कई बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल हो चुका है।
डॉ. लाल अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं। भारत के राष्ट्रपति ने 2003 में उन्हें ‘पद्मभूषण’ एवं ‘डॉ. बी.सी. राय राष्ट्रीय पुरस्कार’ से सम्मानित किया।
गरीब मरीजों को सस्ती किंतु विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करने तथा हृदय चिकित्सा की बढ़ती कीमतों को कम करने को अपने मिशन बना चुके डॉ. लाल ने हृदय रोगियों को ओपन हार्ट सर्जरी के कष्टों से बचाने के लिए 20 से भी ज्यादा तकनीकें विकसित की हैं।