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संसार में सबसे बड़े वैद्य तीन हैं- प्रकृति, समय और धैर्य । रोग एक विश्वास है । यदि इस विश्वास का पूरी तरह से त्याग किया जाए कि हम रोगी हैं तो निश्चित रूप से आप स्वस्थ होने लगेंगे । मन तो तन का राजा है । मन स्वस्थ रहेगा तो तन अपने आप स्वस्थ हो जाएगा ।
यदि हम दवाओं के पीछे न दौड़कर प्रकृति के अनुरूप अपने रहन-सहन तथा आचरण को रखने लगें तो रोग हमारे पास फटकेंगे ही नहीं ।
उपचार से परहेज बेहतर है; लेकिन यह तभी संभव है जब्र हम अपने शरीर की बनावट, विविध शारीरिक व्याधियाँ और उनके कारण, उनसे बचने के उपायों को जानते हों ।
तन तथा मन को कैसे स्वस्थ रखें, जीवेम शरद: शतम् की कामना करते हुए सूखपूर्वक स्वस्थ जीवन कैसे बिताएँ; इसके लिए पढ़िए-' हम स्वस्थ कैसे रहें '।