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इच्छाशक्ति मनुष्य की वह अप्रतिम शक्ति है, जो पहाड़ों के सीने चीरकर उनमें से नदियाँ बहा सकती है। इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण भरे पड़े हैं, जो मनुष्य की इच्छाशक्ति का गुणगान करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में इनकी विस्तार से चर्चा है।दरअसल, हमारे छोटे-से-छोटे और बड़े-से-बड़े सभी कार्यों के क्रियान्वयन में इच्छाशक्ति की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इच्छाशक्ति के अभाव में हम मेज पर रखा एक गिलास पानी तक उठाकर नहीं पी सकते, फिर बड़े कार्यों की तो बात ही क्या। इच्छाशक्ति के पैदा होते ही हमारे शरीर की सोई पड़ी अनेक शक्तियाँ चैतन्य हो जाती हैं और वे सब एक सामूहिक शक्ति में बदलकर हमें अपने अभीष्ट से मिला देती हैं।प्रस्तुत पुस्तक सोई हुई इच्छाशक्ति को जगाकर लक्ष्य-प्राप्ति, सफलता और जीवन के तमाम अभीष्ट पाने का मार्ग बताती है।
प्रो. पुष्पेंद्र कुमार आर्य पत्रकार, लेखक एवं कैरियर मार्गदर्शक के रूप में विख्यात हैं। लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में आपकी दो हजार से अधिक रचनाएँ तथा विविध महत्त्वपूर्ण विषयों पर पच्चीस से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से एम.ए. (राजनीति-शास्त्र), कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारिता एवं जनसंचार में पी.जी. डिप्लोमा तथा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र से प्रथम श्रेणी में ‘मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन’ की डिग्री के बाद आप ‘महात्मा गांधी का पत्रकार जीवन’ विषय पर शोध कार्य में संलग्न हैं। देश के विविध राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं के संपादकीय विभाग में आप शीर्षस्थ पदों पर कार्य कर चुके हैं।
सृजनात्मक लेखन एवं उल्लेखनीय रचनात्मक प्रतिभा के लिए आपको विविध पुरस्कारों व सम्मानों से विभूषित किया जा चुका है। इनमें ‘इंटरनेशनल वोकेशनल अवार्ड’; विश्व शांति आंदोलन ट्रस्ट, मुंबई द्वारा ‘राष्ट्र गौरव सम्मान’; अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट, इंक, कैरोलीना (अमेरिका) द्वारा ‘मैन ऑफ द ईयर-2003’; हिंदी संगठन, मॉरीशस का ‘हिंदी सम्मान’; ओरिएंटल कल्चरल अकादमी, बैंकॉक (थाईलैंड) द्वारा ‘इंस्टीट्यूट अवार्ड’; सल्तनत ऑफ ओमान के ‘निशान-ए-मस्कट’ एवं यूनिवर्सिटी ऑफ मीडिया आर्ट्स, नोएडा के ‘अकादमी अवार्ड’ के अतिरिक्त भारत सरकार के कल्याण मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदत्त सम्मान प्रमुख हैं।