₹300
'जीरो परसेंटाइल’ पंकज के दो बिलकुल ही अलग देशों—भारत और रूस के मन को लुभा देनेवाले रोमांच भरे किस्सों का रोचक वर्णन है। एक प्रतिभाशाली छात्र पंकज ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वह विकट समस्याओं के दलदल में भी फँस सकता है। अपने मित्रों—मोटू और प्रिया—के साथ उसका जीवन कितना मस्त था। हमेशा आई.आई.टी. का सपना देखनेवाले पंकज को एक निर्मम घटना ऐसी जगह पहुँचा देती है, जिसका उसने कभी नाम भी नहीं सुना था—वोल्गोग्राड, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रूस में हिटलर के हमले को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए 'हीरो सिटी' नाम से जाना जाता था। अपने पिता की मृत्यु के बाद वह अत्यधिक महँगे नए-नए पूँजीवादी बने रूस में अपने आपको बनाए रखने का संघर्ष करता है। उसके सीनियर, जिन्हें वह 'भगवान्’ समझता है, अप्रत्याशित रूप से उसके दुश्मन बन जाते हैं और स्थानीय माफिया के जरिए उसे बरबाद करने की कोशिश करते हैं। एक लौह पुरुष की तरह वह सारी मुसीबतों से लड़ते हुए विजेता बनकर उभरता है और अंतत: प्यार के सामने घुटने टेक देता है। मनोरंजन के साथ-साथ जोश एवं प्रेरणा जगानेवाली एक अनुपम कृति।
नीरज छिब्बा भारत के सबसे लोकप्रिय नव लेखकों में से हैं। उनकी पहली पुस्तक ‘जीरो परसेंटाइल-मिस्ड आईआईटी किस्ड रशा’ (जेडपी वन) 2009 में प्रकाशित हुई, जो देखते-ही-देखते नेशनल बेस्ट सेलर बन गई। लाखों लोगों द्वारा पढ़ी और सराही गई पुस्तक ‘जेडपी वन’ से प्रेरित होकर उन्होंने उसकी अगली कड़ी के रूप में दूसरी पुस्तक ‘जीरो परसेंटाइल 2.0’ (जेडपी 2.0) लिखी है, जिसमें भारत के उत्साह से भरे सॉफ्टवेयर उद्योग की अंतर्कथा का विवेचन है। ‘जेडपी 2.0’ के प्रथम संस्करण में 50,000 प्रतियाँ प्रकाशित हुईं। नीरज छिब्बा ने देश की कल्पनाशक्ति को नया और अनोखा आयाम दिया है। संपर्क : zeropercentile@neerajchhibba.com