₹400
"क्या है इकिगाई इकिगाई के बारे में कोई भी चर्चा मिएको कामिया के उल्लेख के बिना पूरी नहीं होगी, जिन्हें प्राय: ‘इकिगाई मनोविज्ञान की माँ’ कहा जाता है। वह इकिगाई के अध्ययन में अग्रणी लोगों में शामिल थीं और अपनी पुस्तक ‘इकिगाईनी- सुइत’ (क्या हमारे जीवन को जीने योग्य बनाता है) में उन्होंने अपने विचारों और शोध कार्य को प्रस्तुत किया है। पुस्तक को इकिगाई साहित्य में श्रेष्ठ ग्रंथों में माना जाता है, इस तथ्य के बावजूद कि यह सन 1966 में प्रकाशित हुई थी। —इसी पुस्तक से
इकिगाई में जीवन में खुशियाँ समाई हैं। यह हमारे होने का कारण है। इकिगाई की मदद से आप जीवन में हर दिन संतुलन, प्रसन्नता और तृप्ति ढूँढ़ पाते हैं।
इकिगाई मात्र एक जीवन-दर्शन या विचारधारा नहीं बल्कि एक परिवर्तनकारी मानव-अनुभव है।
इकिगाई किसी कंपास की तरह कॅरियर और जीवन के फैसलों में राह दिखा सकता है।"
डॉ. रश्मि
जन्म : 18 जनवरी, 1974 कानपुर (उत्तर प्रदेश)।
शिक्षा : पी-एच.डी. (कबीर काव्य का भाषा शास्त्रीय अध्ययन)।
प्रकाशित पुस्तकें : ‘और आगे बढ़ते रहो’, ‘रामकृष्ण परमहंस के 101 प्रेरक प्रसंग’, ‘व्हाट्सअप रिश्ते-नातों की कहानियाँ’, ‘अशोक चक्र विजेता’, ‘भारत रत्न से सम्मानित व्यक्तित्व’, ‘कलाम की आत्मकथा’, ‘मीराबाई’, ‘कलाम, तुम लौट आओ’ एवं ‘अटल जीवनगाथा’।
कृतित्व : विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में लेख, कविताएँ, कहानियाँ एवं पुस्तक-समीक्षाएँ प्रकाशित। दूरदर्शन, अन्य चैनलों एवं आकाशवाणी पर प्रस्तुति। दिल्ली एवं देश के अन्य शहरों में मंच पर काव्य-प्रस्तुति।
सम्मान : डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मेमोरियल अवार्ड, राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड, आगमन सम्मान एवं डॉ. विवेकी राय सम्मान प्राप्त।
संप्रति : लेखन व अध्यापन।
संपर्क : 9971711337
rashmi.author@gmail.com