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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर श्री बिमल जालान द्वारा लिखित इस पुस्तक के विविध आर्थिक विषयों को सम्मिलित किया गया है। इसमें बैंकिंग और वित्त से लेकर विज्ञान तथा विकास तक के विषय हैं। मैक्रो, माइक्रो तथा अन्य आर्थिक क्षेत्रों में भारत का पिछला रिकॉर्ड और वर्तमान नीतियाँ विषयों की विविधता को एक सूत्र में बाँधती हैं। ये लेख भारतीय अर्थव्यवस्था में नीति-निर्माण के कुछ विशिष्ट क्षेत्रों का विश्लेषण करते हैं।
पुस्तक का पहला लेख भारतीय अर्थव्यवस्था की हालिया संभावनाओं के मजबूत पक्ष तथा उनकी कमियों से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालता है और एक भावी आर्थिक परिदृश्य प्रस्तुत करता है। वित्त और विकास की सहबद्धता की पृष्ठभूमि में तीन लेख दो भिन्न परंतु अंतर्सबद्ध विषयों—यानी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना के बारे में विकासशील देशों का दृष्टिकोण और भारतीय बैंकिंग तथा वित्तीय प्रणाली का वर्तमान व भविष्य—का विश्लेषण करते हैं। इनके अलावा, एक वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था में प्रबंधन चुनौतियों पर लेख भारतीय कॉरपोरेटों और नीति-निर्माताओं की हालिया वैश्विक गतिविधियों के प्रभावों पर प्रकाश डालता; है जबकि विज्ञान, प्रौद्योगिकीय क्षमताओं तथा उससे संबद्ध नीतियों की वैश्विक तथा घरेलू दृष्टि का विश्लेषण करता है।
बड़े लेखों के अलावा इस संकलन में छह लघु टिप्पिणयाँ भी हैं, जिनमें विविध विषयों, जैसे—भूमंडलीकरण, भारत में हालिया विनिगय दर प्रबंधन तथा मौद्रिक नीति के औचितय (मुख्यतः मुद्रास्फीति के लक्ष्य को प्राप्त करने की आवश्यकता पर प्रश्न उठाते हुए) और सूचना प्रौद्योगिकी तथा वैश्विक मैक्रो-इकोनॉमिक गतिविधियों के बीच दोतरफा संबंध, जिसमें बैंकिंग में सूचना प्रौद्योगिकी की विशेष भूमिका भी शामिल है—चर्चा की गई है।
विश्व-प्रसिद्ध अर्थशास्त्री बिमल जालान संप्रति रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर हैं। इससे पहले वह भारत सरकार में अनेक उच्च पदों पर कार्य कर चुके हैं, जिनमें मुख्य आर्थिक सलाहकार वित्त सचिव, योजना आयोग के सदस्य सचिव और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष पद शामिल हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक के मंचों पर कार्यकारी निदेशक के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है।
बिमल जालान ने कलकत्ता एवं कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की। फिलहाल वह विभिन्न शैक्षिक संस्थानों से अध्यक्ष रूप में जुड़े हुए हैं7 इन संस्थानों में इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टीट्यूट, नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च और इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ शामिल हैं। उनकी कुछ प्रसिद्ध पुस्तकें हैं—‘इंडियाज इकोनॉिमक क्राइसिस : प्रोब्लम्स एंड प्रोस्पेक्ट्स पॉलिसी : प्रिपेयरिंग फॉर द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’।