Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Indonesia Mein Hindu Punarutthan (PB)   

₹200

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Ravi Kumar
Features
  • ISBN : 9789352666898
  • Language : Hindi
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Ravi Kumar
  • 9789352666898
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2018
  • 128
  • Soft Cover

Description

भारत में बहुत से लोगों को हमारे पूर्वजों द्वारा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम आदि में पहली शताब्दी ईसापूर्व से 17वीं शताब्दी तक स्थापित हिंदू साम्राज्यों के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। उनकी राजनीतिक विजय उनके अधीनस्थ क्षेत्रों की सीमाओं तक अवश्य उल्लेखनीय थी, लेकिन उससे भी बड़ी जीत भारतीय विचारों का प्रचार-प्रसार था। दक्षिण-पूर्व एशिया में मुख्य भूमि और द्वीप समूह, दोनों की सभ्यता पूरी तरह भारत से प्रेरित थी। श्रीलंका, बर्मा, स्याम, कंबोडिया, चंपा और जावा में धर्म, कला, वर्णमाला, साहित्य आदि के साथ-साथ जो विज्ञान और राजनीतिक संगठन अस्तित्व में थे, वे सब हिंदू धर्म की ही देन थे।

विश्व में एकमात्र हिंदू ही है, जिसने दासता, आर्थिक प्रतिबंधों, बलात्कार, लूट, आगजनी, सांस्कृतिक धरोहरों के विनाश, धार्मिक स्थलों की अपवित्रता और पवित्र प्रतीकों को नष्ट किए बिना इन सब देशों पर शासन किया; साथ ही उनकी संस्कृति और सभ्यता को भी बढ़ावा दिया।

इंडोनेशिया में हिंदू-संस्कृति के पुनरुत्थान का दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय एवं महत्त्वपूर्ण पुस्तक।

The Author

Ravi Kumar

रवि कुमार  ने 1970 में इंजीनियरिंग की। इस दौरान (1969-70) वे विश्व के सबसे बड़े छात्र-संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के अखिल भारतीय महासचिव रहे।
राष्ट्रकार्य के लिए प्रवृत्त होकर उन्होंने लार्सन एंड टुब्रो में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद को त्याग कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक बनना तय किया और गुजरात के युवाओं व महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में कार्य प्रारंभ किया। वे 40 देशों में 200 से अधिक योग शिविर लगा चुके हैं। साथ ही 20 से अधिक देशों के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में, न्यूजीलैंड की रॉयल सोसायटी समेत, तथा सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थाओं में वैदिक गणित पर 500 से अधिक कार्यशालाएँ आयोजित कर चुके हैं।
वर्तमान में वे हिंदू स्वयंसेवक संघ के अंतरराष्ट्रीय सह-संयोजक तथा विश्व अध्ययन केंद्र, मुंबई के परामर्शदाता हैं। अंग्रेजी, हिंदी व तमिल भाषा में समान अधिकार रखनेवाले रवि कुमारजी को भारतीय अर्थव्यवस्था विज्ञान, तकनीक, विकास, इतिहास, परंपरा, संस्कृति तथा साहित्य आदि विषयों पर उद्बोधन हेतु अनेक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार व कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया जाता है। उन्होंने विविध विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं, जो अनेक भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर बहुप्रशंसित हुई हैं।

 

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW