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भारत में बहुत से लोगों को हमारे पूर्वजों द्वारा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम आदि में पहली शताब्दी ईसापूर्व से 17वीं शताब्दी तक स्थापित हिंदू साम्राज्यों के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। उनकी राजनीतिक विजय उनके अधीनस्थ क्षेत्रों की सीमाओं तक अवश्य उल्लेखनीय थी, लेकिन उससे भी बड़ी जीत भारतीय विचारों का प्रचार-प्रसार था। दक्षिण-पूर्व एशिया में मुख्य भूमि और द्वीप समूह, दोनों की सभ्यता पूरी तरह भारत से प्रेरित थी। श्रीलंका, बर्मा, स्याम, कंबोडिया, चंपा और जावा में धर्म, कला, वर्णमाला, साहित्य आदि के साथ-साथ जो विज्ञान और राजनीतिक संगठन अस्तित्व में थे, वे सब हिंदू धर्म की ही देन थे।
विश्व में एकमात्र हिंदू ही है, जिसने दासता, आर्थिक प्रतिबंधों, बलात्कार, लूट, आगजनी, सांस्कृतिक धरोहरों के विनाश, धार्मिक स्थलों की अपवित्रता और पवित्र प्रतीकों को नष्ट किए बिना इन सब देशों पर शासन किया; साथ ही उनकी संस्कृति और सभ्यता को भी बढ़ावा दिया।
इंडोनेशिया में हिंदू-संस्कृति के पुनरुत्थान का दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय एवं महत्त्वपूर्ण पुस्तक।
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अनुक्रम
इंडोनेशिया का ग्रहण—मोक्षारंभ —Pgs. 7
अपनी बात —Pgs. 13
इंडोनेशिया में हिंदू पुनरुत्थान —Pgs. 19
भाग-I
17 जुलाई, 2017 को जावा प्रांत, इंडोनेशिया की राजकुमारी ने अपनाया हिंदू धर्म —Pgs. 19
इंडोनेशिया में बढ़ता हिंदू विरोधी आतंकवाद —Pgs. 21
दक्षिण-पूर्वी एशिया में हिंदू धर्म—विलक्षण वंशावली —Pgs. 21
दक्षिण-पूर्वी एशिया में आरंभिक कार्य —Pgs. 23
इंडोनेशिया में हिंदू धर्म (गैर-भारतीय हिंदू) —Pgs. 24
रोमा या बंजारे—भारतमाता की खोई संतानें —Pgs. 25
विश्वविख्यात रोमा भारतीयों के कुछ उदाहरण —Pgs. 26
इंडोनेशियाई हिंदुओं की प्राचीनता —Pgs. 26
धार्मिक आस्थाएँ एवं जाति प्रथा —Pgs. 28
जामू या इंडोनेशियाई आयुर्वेद —Pgs. 30
इंडोनेशिया में हिंदू पुनरुत्थान —Pgs. 30
स्थानीय आस्थाओं से समानता —Pgs. 31
जावा के मुस्लिमों के बीच हिंदू पुनरुत्थान —Pgs. 32
माउंट ब्रोमो, जॉको सेगर और रोरो एंटेंग की कहानी —Pgs. 34
मुस्लिमों के बीच हिंदू पुनरुत्थान के चार कारण —Pgs. 35
इंडोनेशिया के अन्य भागों में हिंदू धर्म —Pgs. 48
बाली द्वीप का महान् हिंदू धर्म —Pgs. 48
कठोर जाति प्रथा नहीं —Pgs. 50
पुरा बेसाकी में शूद्र समुदाय अग्रणी —Pgs. 50
अति न्यून अपराध दर —Pgs. 51
बाली की हिंदू संस्कृति —Pgs. 52
बाली के रीति-रिवाज पंच यज्ञ —Pgs. 54
मानुष यज्ञ के अनुष्ठान हैं— —Pgs. 56
स्वर्गद्वीप—बाली —Pgs. 58
बाली के हिंदू त्योहार —Pgs. 60
इंडोनेशिया में भारतीय हिंदू —Pgs. 61
इंडोनेशिया में भारतीय देशांतरण का इतिहास —Pgs. 61
इंडोनेशिया में हिंदू महारानियाँ —Pgs. 68
परिशिष्ट-I
बहासा इंडोनेशिया में तमिल एवं संस्कृत के शब्दों की सूची —Pgs. 83
परिशिष्ट-II
हेमबर्ग, जर्मनी में बाली मंदिर कुनिंगन उत्सव एवं हेमबर्ग में नया बाली मंदिर —Pgs. 85
परिशिष्ट-III
1500 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक अरब देशों में भारतीयकृत मितानी साम्राज्य —Pgs. 88
भाग-II
दक्षिण-पूर्व एशिया में हिंदू धर्म
कंबोडिया (फुनान/कंपूचिया/कंबोज) का हिंदू इतिहास —Pgs. 93
इंडोनेशिया का हिंदू इतिहास —Pgs. 100
मलेशिया और सिंगापुर में हिंदू राज्य —Pgs. 103
थाईलैंड का हिंदू इतिहास —Pgs. 107
वियतनाम का हिंदू इतिहास —Pgs. 110
लव (लाओस) में हिंदू धर्म —Pgs. 115
फिलीपींस में हिंदू धर्म —Pgs. 116
सिंगापुर में हिंदू धर्म —Pgs. 121
म्याँमार अथवा प्राचीन बर्मा में हिंदू धर्म —Pgs. 122
चीन में हिंदू धर्म —Pgs. 123
समाहार —Pgs. 126
रवि कुमार ने 1970 में इंजीनियरिंग की। इस दौरान (1969-70) वे विश्व के सबसे बड़े छात्र-संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के अखिल भारतीय महासचिव रहे।
राष्ट्रकार्य के लिए प्रवृत्त होकर उन्होंने लार्सन एंड टुब्रो में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद को त्याग कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक बनना तय किया और गुजरात के युवाओं व महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में कार्य प्रारंभ किया। वे 40 देशों में 200 से अधिक योग शिविर लगा चुके हैं। साथ ही 20 से अधिक देशों के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में, न्यूजीलैंड की रॉयल सोसायटी समेत, तथा सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थाओं में वैदिक गणित पर 500 से अधिक कार्यशालाएँ आयोजित कर चुके हैं।
वर्तमान में वे हिंदू स्वयंसेवक संघ के अंतरराष्ट्रीय सह-संयोजक तथा विश्व अध्ययन केंद्र, मुंबई के परामर्शदाता हैं। अंग्रेजी, हिंदी व तमिल भाषा में समान अधिकार रखनेवाले रवि कुमारजी को भारतीय अर्थव्यवस्था विज्ञान, तकनीक, विकास, इतिहास, परंपरा, संस्कृति तथा साहित्य आदि विषयों पर उद्बोधन हेतु अनेक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार व कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया जाता है। उन्होंने विविध विषयों पर पुस्तकें लिखी हैं, जो अनेक भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर बहुप्रशंसित हुई हैं।