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इंस्पेक्टर रंजीता नामक यह पुस्तक 20 ऐसी कहानियों का संग्रह है, जिसमें रोमांच है, रहस्य है। ये सारी कहानियाँ एक ऐसी पुलिस अधिकारी से गहरा संबंध रखती हैं, जोकि एक खूबसूरत युवती है। वह अपनी सूझबूझ से जटिलतम पुलिस प्रकरणों की विवेचना कर सुलझा लेती है।
ये सारी ऐसी कहानियाँ हैं, जो वर्तमान आधुनिक समाज में जब-तब घटित हो ही जाती हैं। इस कहानी की मुख्य किरदार इंस्पेक्टर रंजीता इस प्रकार की घटनाओं की बड़ी ही बहादुरी से छानबीन कर अपराधी को जेल की सलाखों के पीछे पहुँचा देती है। उसके कार्य करने का ढंग बेहद रोमांचकारी है। जिसकी झलक इन कहानियों में दृष्टिगत होती है।
रोचक ढंग से लिखी गई इन कहानियों में सत्यता के धरातल के साथ-साथ कल्पना की उड़ान का खूबसूरत संयोजन देखने को मिलता है। इस पुस्तक से निश्चित तौर पर जनसामान्य को अपराध व अपराधी की प्रवृत्ति को समझने में सहूलियत होगी। साथ ही पुलिस अधिकारियों को भी इंस्पेक्टर रंजीता की कार्यशैली से आपराधिक प्रकरणों को सुलझाने में मदद मिलेगी। दरअसल अपराधी का तरीका व स्थान भले ही भिन्न हो, परंतु आपराधिक मानसिकता के दायरे लगभग एक ही चादर ओढ़कर समाज में दाखिल होते हैं।
डॉ. ममता चंद्रशेखर एक शिक्षाविद्, लेखिका, विचारक, वक्ता, स्तोत्र साधक, शोधकर्ता व वर्तमान में राजनीति विज्ञान विभाग, श्री अटलबिहारी वाजपेयी शासकीय कला व वाणिज्य महाविद्यालय, इंदौर, मध्य प्रदेश की विभागाध्यक्ष व प्राध्यापक हैं। वे डी-लिट उपाधि से सम्मानित हैं।
रचना-संसार : 17 पुस्तकें, 200 से ज्यादा आलेख, शोधपत्र, कहानियाँ व कविताएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। तीन पुस्तकें जर्मन व फ्रेंच भाषाओं में अनुवादित।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ पॉलिटिकल साइंस, केसेटसर्ट यूनिवर्सिटी, बैंकॉक और अंतरराष्ट्रीय फोरम ऑफ राजनीति विज्ञान, न्यूयॉर्क की एडीटोरियल सदस्य हैं। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली के रचनात्मक लेखन पुरस्कार व राष्ट्रीय अल्मा अवॉर्ड व रानी दुर्गावती अवॉर्ड से सम्मानित।