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"प्रतियोगिता परीक्षा के प्रवाह में अवगाहन करनेवाले मित्रों के मानस में अनेक विचार पनपते रहते हैं, खासकर जब वे किसी साक्षात्कार की तैयारी में लगे रहते हैं। बी.पी.एस.सी. की 28वीं संयुक्त प्रतियोगिता की लिखित परीक्षा में सफलता के बाद जब इंटरव्यू का बुलावा आया तो एक ओर मन प्रसन्नता के पारावार को छू रहा था, जबकि दूसरी ओर इसकी तैयारी की जिम्मेदारी एवं भार से मस्तिष्क में नाना प्रकार के प्रश्न उथल-पुथल मचा रहे थे। ग्रामीण परिवेश के हम जैसे प्रतियोगियों के लिए यह दुर्लभ था कि इंटरव्यू को तैयारी और मार्गदर्शन हेतु पटना नगर में संचालित कुछ कोचिंग संस्थानों की ओर कदम बढ़ाया जाए।
पुस्तक में अपनी मनोदशा की तरंगित स्थितियों का भी प्रकटीकरण है, जो इंटरव्यू से जुड़े अभ्यर्थियों के लिए सफलता के सूत्र का काम कर सकेगी । इस लघु पुस्तक में मूल संदेश यही दिया गया है कि जिसने अपना लक्ष्य प्राप्त करना ठान लिया तो सफल होना कतई असंभव नहीं है। पुस्तक में वर्णित विभिन्न अध्यायों का निचोड़ यही है कि इंटरव्यू में भाग लेनेवाला हर अभ्यर्थी अपने लक्ष्य को इतना महान् बना दे कि व्यर्थ के लिए उसके पास समय ही न बचे ।
पुस्तक में अंकित सुझावों का एक अंश भी यदि आपने सफलता के सूत्र में बाँध लिया तो निश्चित ही आप इस बौद्धिक संग्राम में विजेता घोसित होंगे ।"