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साधारण विश्व रिकॉर्ड बनानेवाली मणिपुर की समाजधर्मी इरोम शर्मिला चानू की जीवनकथा अविस्मरणीय है। अद्भुत जीवटवाली इस महिला ने 13 साल तक लगातार भूखहड़ताल अनशन/ आंदोलन किया, जो सचमुच एक तपस्या है।
इरोम शर्मिला का अनशन बिल्कुल छोटी सी आशा और छोटी सी दुनिया तक सीमित है। उसकी न तो कोई राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा, न ही सुर्खियों में बने रहने की लालसा, आंदोलन व प्रदर्शन जैसे विरोधप्रदर्शन के चलताऊ उपायों से दूर एकदम अलगथलग मणिपुर के अपने भाईबंधुओं को गुलामीवाले कानून की ज्यादती से छुटकारा दिलाने के लिए इरोम शर्मिला ने अपनी जिंदगी दाँव पर लगा रखी है।
जनमानस को झकझोरनेवाली यह घटना मामूली नहीं है, क्योंकि ऐसा कर पाना हर किसी के वश की बात नहीं है। उन्होंने इतना शारीरिक और मानसिक संत्रास झेला है, जिसकी कल्पना मात्र से ही शरीर सिहर उठता है।
अन्याय और असत्य के खिलाफ आवाज बुलंद करनेवाली इरोम शर्मिला के क्रांतिकारी जीवन की झाँकी, जो प्रेरणा भी देती है और संघर्ष करने की शक्ति भी।
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अनुक्रम
लेखकीय — Pgs. 5
1. संघर्ष को प्रकाश में लाने का प्रथम प्रयास — Pgs. 9
2. इरोम एक देवी के रूप में — Pgs. 27
3. आजादी के खूनी संघर्ष की शुरुआत — Pgs. 49
4. इरोम द्वारा अनशन — Pgs. 61
5. इरोम का आमरण अनशन — Pgs. 74
6. इरोम शर्मिला और आफ्प्सा — Pgs. 90
7. पूर्वोत्तर के लिए वीसा — Pgs. 124
8. शांति की प्रतीक — Pgs. 143
9. प्रेस और सरकारी हमले — Pgs. 150
10. चानू के कर्मयोग की शक्ति — Pgs. 167
जन्म : 7 अप्रैल, 1959 को बिहार के दरभंगा जिले में।
शिक्षा : एम.ए. (राजनीतिक विज्ञान)।
कृतित्व : 1980 में लेखन और पत्रकारिता की शुरुआत। आजादी की लड़ाई लड़ रहे फिलिस्तीनी छापामारों की कविताओं तथा बेंजामिन मोलोइस की कविताओं का अनुवाद।
सन् 1984 में ‘नवभारत टाइम्स’ (लखनऊ) और 1985 में बंबई में नियुक्ति। फिर 18 साल तक पी.टी.आई. भाषा (दिल्ली) में कार्यरत।
संप्रति : स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद विभिन्न अखबारों में नियमित राजनीतिक टिप्पणियाँ।
इ-मेल : khanshashidhar@yahoo.com