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सर आइजक न्यूटन अपने समय के बड़े एवं प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में थे। उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके बारे में कहा जाता था—
प्रकृति अँधेरे में थी,
प्रकृति के नियम अँधेरे में थे,
तब न्यूटन पैदा हुए
और चारों ओर उजाला हो गया।
गुरुत्वाकर्षण का प्रसिद्ध सिद्धांत, जिसके अनुसार पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है, न्यूटन ने स्थापित किया था। न्यूटन का महान् ग्रंथ ‘प्रिंसिपिया’ विश्वप्रसिद्ध है, जिसमें उनके गति-नियमों (Laws of Motion) की व्याख्या है। इसके अतिरिक्त उन्होंने और भी अनेक खोजें की थीं।
प्रस्तुत पुस्तक में न्यूटन के जीवन से संबंधित अनेक महत्त्वपूर्ण संदर्भों एवं घटनाओं तथा उनके स्वभाव, व्यवहार व प्रवृत्तियों का ब्योरेवार वर्णन है। विश्वास है, इसे पढ़कर पाठकगण सर आइजक न्यूटन के जीवन से संबंधित अनेक तथ्यों एवं संदर्भों को जान सकेंगे।
जन्म : 21 अप्रैल, 1970 को खंडवा (म.प्र.) में।
शिक्षा : एम.एस-सी., जेनेटिक्स (भोपाल विश्वविद्यालय), बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से आनुवंशिकी में डॉक्टरेट की उपाधि।
कृतित्व : राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों में शोधपत्र प्रस्तुत। दो पुस्तकें, पाँच शोधपत्र तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में वैज्ञानिक विषयों पर आलेख प्रकाशित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन (भोपाल) पर वैज्ञानिक विषयों का प्रसारण। बायोटेक्नोलॉजी की प्रवक्ता रहीं।
पुरस्कार-सम्मान : वैज्ञानिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए सन् 1997 में ज्ञान-विज्ञान समिति, सतना (म.प्र.) द्वारा ‘समता महिला सम्मान’ से सम्मानित।
संप्रति : स्वतंत्र-लेखन; समसामयिक वैज्ञानिक विषयों पर पुस्तकों एवं आलेखों द्वारा जनमानस में विज्ञान के प्रचार में संलग्न।