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Itihaas-Purush Subhash   

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Author Shrikrishna Saral
Features
  • ISBN : 9789383111671
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shrikrishna Saral
  • 9789383111671
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 184
  • Hard Cover
  • 250 Grams

Description

जब श्रीकृष्ण सरलजी ने नेताजी सुभाष पर लेखन प्रारंभ किया तो स्वयं उन देशों का भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाइयाँ लड़ी । उन्होंने उन पर्वतों की चोटियों को चूमा जहाँ आजाद हिंद फौज के वीरों ने भारतीय तिरंगा ध्वज फहराया है । उन जंगलों की खाक उन्होंने छानी, जिन्हें हमारे देशभक्‍तों ने रौंदा है और उन मैदानों की माटी उन्होंने अपने माथे से लगाई, जहाँ हमारे आजादी के दीवानों का खून बहा है और उन स्थलों को देखकर उनका वक्ष गर्व से फूल गया है, जहाँ हमारे लड़ाकों ने दुश्मन की लाशों पर लाशें बिछाई हैं । नेताजी के परिवारजन और उनके मित्रों से उन्होंने लंबे-लंबे साक्षात्कार किए हैं और आजाद हिंद संगठन के अवशिष्‍ट लोगों से या तो उनके घर जाकर या अपने घर उन्हें बुलाकर उन्होंने विश्वसनीय जानकारियाँ प्राप्‍त की हैं ।
उनकी एक पुस्तक पर आशीर्वचन लिखते हुए आजाद हिंद फौज के महान् योद्धा कर्नल गुरुबखा सिंह ढिल्लन ने लिखा है-' सरलजी का लेखन इतिहास जैसा प्रामाणिक होता है और उनके लेखन को दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है । '
प्रस्तुत ग्रंथ ' इतिहास-पुरुष सुभाष ' एक ऐसी कृति है, जिसकी प्रत्येक घटना सत्य और प्रामाणिक है । इस कृति के लेखन में लेखक ने अपनी अन्य कृतियों में से जो सर्वोत्तम लगा, वह लिया है । ऐसा करने में उनका दृष्‍ट‌िकोण यही रहा है कि नेताजी सुभाष पर एक बहुत रोचक और प्रामाणिक कृति देश को दी जाय ।

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अनुक्रम

1. मेरा काम —Pgs. 17

2. महाभिनिष्क्रमण —Pgs. 19

3. मौलवी जियाउद्दीन —Pgs. 22

4. पिस्कन मायूना की मसजिद में —Pgs. 28

5. विश्व-युद्ध के बादल —Pgs. 34

6. सुभाषचंद्र बोस बर्लिन में —Pgs. 35

7. हिटलर ने पहली बार सुभाषचंद्र बोस को ‘नेताजी’ कहकर पुकारा —Pgs. 36

8. ऐतिहासिक मिलन —Pgs. 38

9. अभ्यास-युद्ध —Pgs. 42

10. आजाद हिंद फौज का पहला शहीद —Pgs. 44

11. प्रेम-प्रसंग —Pgs. 46

12. जर्मनी से नेताजी की विदाई —Pgs. 49

13. अलविदा जर्मनी! —Pgs. 51

14. सत्ता का हस्तांतरण —Pgs. 57

15. बहादुरशाह जफर की समाधि पर —Pgs. 59

16. अस्थायी आजाद हिंद सरकार की स्थापना —Pgs. 61

17. आजाद हिंद सरकार निर्मित —Pgs. 64

18. रानी झाँसी रेजीमेंट की स्थापना —Pgs. 66

19. बाल-सेना की स्थापना —Pgs. 69

20. युद्ध की घोषणा —Pgs. 72

21. बृहत्तर एशिया सम्मेलन —Pgs. 74

22. जापान के सम्राट् से भेंट : एक दुर्लभ सम्मान —Pgs. 76

23. आजाद हिंद फौज भारत की धरती पर —Pgs. 77

24. कालेपानी की काल-कोठरियाँ —Pgs. 80

25. कैप्टेन रघुवंश लाल अवस्थी और उनकी आजाद हिंद फौज —Pgs. 84

26. कु. मानवती पांडेय की कहानी —Pgs. 86

27. कैप्टेन सूरजमल्ल की वीरता —Pgs. 88

28. ले. अमर सिंह की वीरता —Pgs. 90

29. कैप्टेन सूरजमल्ल ने शत्रु-सेना की कमर तोड़ी —Pgs. 92

30. लेफ्टिनेंट सिकंदर खान की वीरता : अंग्रेजी ब्रिगेड को बंदी बनाया —Pgs. 93

31. मेजर महमूद अहमद और कैप्टेन अमरीक सिंह की वीरता —Pgs. 95

32. लेफ्टिनेंट रनजोधा सिंह की वीरता —Pgs. 97

33. गजब की वीरता दिखाई अजायब सिंह ने —Pgs. 99

34. मुक्तिवाहिनी का राणा साँगा कैप्टेन मनसुख लाल —Pgs. 101

35. नायक मोलर सिंह की शहादत —Pgs. 103

36. हवलदार रनजीत की वीरता और शहादत —Pgs. 104

37. ले. कुंदन सिंह की शहादत —Pgs. 105

38. सब-ऑफीसर गुरुबचन सिंह की वीरता —Pgs. 106

39. हवलदार एल.एन. बोस की वीरता —Pgs. 108

40. हवलदार अहमद दीन और नायक तारा सिंह की वीरता —Pgs. 109

41. सब-ऑफीसर हरी सिंह की वीरता —Pgs. 110

42. मेजर प्रीतम सिंह की वीरता —Pgs. 112

43. ले. लाल सिंह और ले. कपूर सिंह की वीरोचित शहादत —Pgs. 113

44. कर्नल रामस्वरूप की वीरता —Pgs. 114

45. कैप्टेन गणेशीलाल की वीरता —Pgs. 115

46. कर्नल जी.एस. ढिल्लन की कर्तव्य-परायणता —Pgs. 116

47. कैप्टेन चंद्रभान का आतंक —Pgs. 118

48. आजाद हिंद फौज का योद्धा : बाबूराव परांजपे —Pgs. 120

49. ले. ज्ञान सिंह की अप्रतिम वीरता और अनुपम बलिदान —Pgs. 122

50. इंफाल का घेरा —Pgs. 125

51. इंफाल अभियान की विफलता —Pgs. 127

52. नेताजी का तुलादान —Pgs. 131

53. कैप्टेन रघुवंशलाल अवस्थी की शेष कहानी —Pgs. 136

54. कु. मानवती पांडेय की शेष कथा —Pgs. 137

55. नेताजी की विपद्-यात्रा —Pgs. 138

56. सिंगापुर फिर कार्य-स्थल —Pgs. 150

57. सिंगापुर का सौभाग्य —Pgs. 151

58. प्रलय की परछाइयाँ  —Pgs. 159

59. एक जासूस लड़की की शरारत —Pgs. 160

60. जापान के विरुद्ध रूस ने हथियार उठाए —Pgs. 161

61. जापान ने हथियार डाले —Pgs. 164

62. सिंगापुर से विदाई —Pgs. 168

63. नेताजी बैंकॉक में —Pgs. 169

64. नेताजी सैगोन में —Pgs. 170

65. अमरत्व की ओर —Pgs. 173

66. नेताजी के बाल-वीरों के बलिदान —Pgs. 177

67. भारत की आजादी को नेताजी का योगदान —Pgs. 183

The Author

Shrikrishna Saral

जन्म : १ जनवरी, ११११ को अशोक नगर, गुना ( मप्र.) में ।
श्रीकृष्ण सरल उस समर्पित और संघर्षशील साहित्यकार का नाम है, जिसने लेखन में कई विश्व कीर्तिमान स्थापित किए हैं । सर्वाधिक क्रांति-लेखन और सर्वाधिक महाकाव्य ( बारह) लिखने का श्रेय सरलजी को ही जाता है ।
श्री सरल ने एक सौ सत्रह ग्रंथों का प्रणयन किया । नेताजी सुभाष पर तथ्यों के संकलन के लिए वे स्वयं खर्च वहन कर उन बारह देशों का भ्रमण करने गए जहाँ -जहाँ नेताजी और उनकी फौज ने आजादी की लड़ाइयों लड़ी थीं ।
श्रीकृष्ण सरल स्वयं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे तथा प्राध्यापक के पद से निवृत्त होकर आजीवन साहित्य-साधना में रत रहे । उन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा ' भारत- गौरव ', ' राष्‍ट्र-कवि ' ,, ' क्रांति-कवि ', ' क्रांति-रत्‍न ', ' अभिनव- भूषण ', ' मानव- रत्‍न ', ' श्रेष्‍ठ कला- आचार्य ' आदि अलंकरणों से विभूषित किया गया ।
निधन : 1 सितंबर, 2000 को ।

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